पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मार्च से मई के दौरान अधिकतम तापमान ''सामान्य से कम'' रहने का अनुमान है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को यह जानकारी दी. विभाग ने कहा, ''पश्चिमी तथा इससे लगे मध्य भारत के भागों, उत्तर-पश्चिमी भारत और पूर्वोत्तर भारत के उत्तरी हिस्सों में कई स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहने की बहुत अधिक संभावना है.''हालांकि, IMD की ओर से कहा गया है कि प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश हिस्सों, पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत तथा उत्तरी मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है.विभाग ने कहा कि इस अवधि के दौरान हिंद-गंगा क्षेत्र के मैदानी इलाकों में लू का कहर सामान्य से कम रहने का अनुमान है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान के प्रमुख हिस्सों, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आसपास के क्षेत्रों में अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है.''IMD ने एक बयान में कहा, ''आगामी गर्म मौसम (मार्च से मई) के दौरान, उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों, पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत के कुछ हिस्सों, पूर्वी तटीय क्षेत्र और हिमालय की तलहटी के कुछ क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य या सामान्य से ज्यादा रहने की बहुत अधिक संभावना है.''मार्च के दौरान, प्रायद्वीपीय भारत और पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य या सामान्य से कम होने की संभावना है, जबकि पश्चिमी और मध्य भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है.उत्तर पश्चिम और पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.उत्तरी मैदानी इलाकों में मार्च में लू चलने की संभावना नहीं है.
मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक होने पर 'लू' की स्थिति मानी जाती है.आईएमडी के अनुसार, अधिकतम तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर 'गंभीर लू' घोषित की जाती है. आईएमडी ने यह भी कहा कि भारत में सर्दी के मौसम में 44 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है.देश में फरवरी में भारी वर्षा की 15 घटनाएं हुईं, जो चार वर्षों में सबसे कम हैं. सबसे भारी वर्षा की घटनाएं केरल और जम्मू और कश्मीर में हुईं. देश में साल 2021 और 2020 में भारी बारिश की 18-18 और 2019 में 82 घटनाएं हुई थीं.
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