मेरा ऐसा मानना है कि टैक्सेशन में काफी हद तक सरलीकरण हो चुका है. एक साल और दो साल, दो पीरियड में टैक्स लॉन्ग टर्म का कंप्लीट हो रहा है, जो लिस्टेड सिक्योरिटी है वो एक साल के दायरे में आती है और जो अनलिस्टेड सिक्योरिटी है यह दो साल के दायरे में आती है. अनलिस्टेड सिक्योरिटी को भी साढ़े 12 फीसदी टैक्स लगता है और लिस्टेड सिक्योरिटी को भी साढे़ 12 फीसदी टैक्स लगता है तो एक स्पष्टता बन गई है. पहले ऐसा था कि अनलिस्टेड में 20 फीसदी टैक्स लगता था, जैसे रियल एस्टेट में. अभी वो घटकर के साढ़े 12 फीसदी हो चुका है. फिर भी मैं मानता हूं कि सरलीकरण बहुत ही जरूरी था और यह आ गया है.
अगले साल से जो नया टैक्स कोड लाने की बात है, जिसमें काफी हद तक टैक्स रेट को सरलीकृत करने की बात है, टैक्सेशन स्ट्रक्चर को सरल बनाने की बात है तो अगले साल जिस तरह से नया स्ट्रक्चर आएगा तो टैक्स पेयर को इतनी असुविधा नहीं देनी चाहिए. मैं टैक्स के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन असुविधा नहीं होनी चाहिए.
नैरेटिव बदला है, प्रोग्राम समान है. एग्रीकल्चर, इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग तीनों क्षेत्र में सरकार ने बजट में जो इंप्लिमेंटेशन का रोडमैप रखा है वो अंतरिम बजट में भी समान था और यहां पर भी समान है. हां, एक बात जरूर है कि मुझे लगता है कि संसद में राजनेताओं ने अपने कम्युनिकेशन का ऑरिएंटेशन चेंज कर दिया है, जिसके अंदर सबसे पहले उन्होंने रोजगार पर ध्यान दिया है और यह देना जरूरी भी है.
निवेशक की ज्यादातर पसंद एक तरफ एलोकेशन ऑफ फंड्स की तरफ यानी बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सेक्टर की तरफ रहेगी, क्योंकि जैसे इकोनॉमी को आगे बढ़ना है और सरकार को अपने प्रोग्राम को इंप्लीमेंट करने हैं तो बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सेक्टर को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. उस पर आपकी ज्यादा नजर रहनी चाहिए. दूसरी तरफ, आपकी नजर कंज्मप्शन ओरिएंटेड सेक्टर में होनी चाहिए क्योंकि जिस हिसाब से फंड कंजूमर के हाथ में रखे जा रहे हैं, उस हिसाब से देखा जाए तो कंज्मप्शन में बढ़ोतरी होनी चाहिए, डिस्क्रिएशनरी या नॉन-डिस्क्रिएशनरी.
अगर टैक्सेशन में इतना बदलाव नहीं करते तो इतनी असुविधा पैदा नहीं करते तो शायद बजट को 10 में से 9 मार्क्स दे सकते थे. हालांकि मैं जब इस बारे में सोचता हूं कि फाइनेंस मिनिस्टर का एक इरादा शायद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15 फीसदी तक बढ़ाने का हो सकता है, इसके लिए उन्होंने अभी इसे साढ़े 12 फीसदी किया है. यह भी हो सकता है कि न्यू टैक्स कोड आ रहा है तो उसे इक्वलाइज करने के लिए वो टैक्स रेट बढ़ा दें. इसका ऐसा अर्थ नहीं है कि कुछ अच्छा नहीं चल रहा है, लेकिन हम 2.5 प्रतिशत टैक्स के लिए बाजार में नहीं आ रहे हैं. हम लोग यहां पर मार्केट के अंदर ज्यादातर इक्विटी के अंदर ग्रोथ कैसे लाना है, उस पर ज्यादा फोकस करते हैं.
(देवेन चोकसी केआर चोकसी शेयर्स एंड सिक्योरिटी के एमडी हैं.)