साल 2022 बीतने को है. बीता साल राजनीतिक उथल-पुथल से भरा रहा. आने वाले साल में भी देश नए राजनीतिक समीकरण, नई सियासी बिसात देख सकता है. इस मुद्दे पर NDTV ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से बात की. साल 2022 को राजनीतिक रूप से, किसान आंदोलन को किस तरह याद किया जाएगा? इस सवाल पर पूर्व गवर्नर सत्यपाल मालिक ने कहा कि तीन कानून की मुद्दा नहीं था, एमएसपी भी मुद्दा था. सरकार ने वादा किया था लेकिन एमएसपी को लीगलाइज करने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया.
उन्होंने कहा कि, किसानों की बहुत सारी समस्याएं हैं. मानेसर में किसानों की जमीन का अधिग्रहण औने पौने दाम पर किया जा रहा है. चीफ मिनिस्टर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर कर रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी कोई बात नहीं कही. अगला साल भी किसान आंदोलन का माना जाएगा.
सत्यपाल मलिक ने कहा कि, बिहार का डेवलपमेंट स्वागत योग्य है...हिमाचल की जीत भी स्वागत योग्य है...गुजरात तो इन्हीं (बीजेपी) का है इसमें क्या जीत क्या हार. उन्होंने कहा कि, आने वाले दिन बीजेपी जिस तरह सोचती है... उस तरह के नहीं रहेंगे. अगर विपक्ष यूनिटी नहीं कर पाता है, तो मैं उनको सलाह दूंगा, जो वीपी सिंह जी ने किया था वन टू वन... वन कैंडिडेट के मुकाबले वन कैंडिडेट अपोजिशन का आ जाए...तो बहुत मुश्किल हो जाएगी प्रधानमंत्री जी के लिए.
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि, विपक्ष में व्यक्तित्व के झगड़े सॉल्व नहीं हो सकते, हर आदमी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार है, मुझे छोड़कर. वीपी (सिंह) ने सॉल्यूशन निकाला था, आइडेंटीफिकेशन ऑफ सीट्स कर लें. ये अच्छा लड़ सकते हैं. अगर बीजेपी के कैंडिडेट के मुकाबले विपक्ष का एक कैंडिडेट होगा, तो ये काफी होगा. नेता का सवाल जब चुना जाएगा तब देखा जाएगा.
उन्होंने कहा कि, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने बीजेपी को दक्षिण भारत से बाहर कर दिया है. बीजेपी चर्चा में भी नहीं है. मैं बीजेपी का विरोधी नहीं हूं, लेकिन अभी समय है, पीएम चाहें तो चीज़ें ठीक हो सकते हैं. सत्ता में जब होता है कोई तो उसमें अहंकार आ जाते हैं.
मलिक ने कहा कि, कांग्रेस अगर गठबंधन के साथ रहेगी तो उसे माइनॉरिटी वाला वोट मिल जाएगा. यूपी की राजनीति में अखिलेश ने अति पिछड़ी सभी जातियां जोड़ी हैं. अब बस मायावती को जोड़ना है. मायावती अपना वोट रूलिंग पार्टी को न ट्रांसफर करा दे, इसे रोकना है.
सत्यपाल मलिक ने अपने कार्यकाल को लेकर कहा कि, मुझे खुशी है कि जहां रहा, अच्छे से काम किया. दुश्मन मेरे ऊपर बेईमानी का चार्ज नहीं लगा पाए. मुझ पर कभी कोई दबाव नहीं आया. कश्मीर में जब था तो मैंने सही डिसीज़न लिया. अगर नहीं लिया होता तो 370 नहीं हटती.
उन्होंने कहा कि, मैं कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता, रूलिंग पार्टी को मसले हल करने पड़ेंगे. ऐसा नहीं करेंगे तो मुश्किल होगी. सत्तारूढ़ की टेक्निक अब नहीं चलेगी. इंदिरा जी के बारे में भी यही कहा जाता था कि कभी नहीं हारेंगी. सन 1977 में भी ऐसा ही हुआ था. बीजेपी को 200 पर ले आएंगे तो बीजेपी के अंदर बहुत झगड़े हो जाएंगे.
उन्होंने कहा कि, मैं संस्मरण लिख रहा हूं, लेकिन मैं किसी को हर्ट नहीं करना चाहता.