एक रुपया नहीं लिया... अवैध इमारतों मामले में विरार वसई नगरपालिका के पूर्व आयुक्त अनिल पवार ने ED से कहा

सूत्रों के मुताबिक, ED को पवार दंपत्ति के परिसरों से पुणे और नासिक में बेनामी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज मिले हैं. इनमें से कुछ संपत्तियां भारती पवार और उनके रिश्तेदारों के नाम पर पंजीकृत हैं. एजेंसी अब इन संपत्तियों की जांच कर रही है और दोनों से पूछताछ जारी रखेगी.

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अनिल पवार ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में उन्होंने 41 अवैध इमारतों को तोड़ने का आदेश दिया.
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  • वसई-विरार म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के पूर्व आयुक्त अनिल पवार और उनकी पत्नी से ED ने 10 घंटे से अधिक पूछताछ की
  • मामला सार्वजनिक जमीन पर अवैध निर्माण और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है.
  • पवार ने आरोपों से इनकार करते हुए बताया कि अवैध निर्माण उनके कार्यकाल से पहले हुआ था और उन्होंने रिश्वत नहीं ली
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मुंबई:

वसई-विरार सिटी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (VVCMC) के पूर्व आयुक्त अनिल पवार और उनकी पत्नी भारती पवार से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को 10 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की. मामला वसई-विरार क्षेत्र में सार्वजनिक जमीन पर अवैध निर्माण और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है. यह जांच PMLA के तहत की जा रही है. इस केस में आरोप है कि वसई-विरार क्षेत्र में जिन जमीनों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित किया गया था, वहां बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण किए गए. ED को संदेह है कि रिश्वत की रकम को शेल कंपनियों और रियल एस्टेट डील्स के जरिए सफेद किया गया.

"25 लाख की रिश्वत की पेशकश की थी"

सूत्रों के अनुसार, पूछताछ के दौरान अनिल पवार ने खुद को आरोपों से अलग करते हुए कहा कि यह मामला 2016 में ठाणे ACB द्वारा दर्ज एक FIR पर आधारित है. FIR में तत्कालीन टाउन प्लानिंग उप निदेशक (DDTP) वाई. एस. रेड्डी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने शिवसेना के नगरसेवक को RTI से जुड़े मामलों और शिकायतों को दबाने के लिए 25 लाख की रिश्वत की पेशकश की थी.

पवार केके दावा है कि वे 2022 में VVCMC कमिश्नर बने, जबकि कथित अवैध निर्माण 2008–2012 के बीच हुए थे. उन्होंने कहा कि असली जिम्मेदार रेड्डी हैं, जिन्होंने फर्जी बिल्डिंग परमिशन नंबरों के जरिए शुरूआती मंजूरी दिलवाई और फिर उन्हें अवैध रूप से बढ़वाया. अनिल पवार ने ED के समक्ष कहा कि उन्होंने कभी किसी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले में पैसे नहीं लिए. उन्होंने साफ तौर पर इनकार किया कि उन्हें किसी भी बिल्डर या बिचौलिए से 20–25 रुपये प्रति वर्ग फुट रिश्वत मिली हो. पवार ने यह भी कहा कि ED द्वारा उनके निवास पर की गई तलाशी में कोई अवैध नकदी या बेनामी संपत्ति नहीं मिली.

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पवार ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में उन्होंने 41 अवैध इमारतों को तोड़ने का आदेश दिया था, जो कोर्ट की निगरानी में चिह्नित की गई थीं. कुल 1.21 करोड़ वर्ग फुट से ज्यादा निर्माण को ध्वस्त किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद राजनीतिक विरोध और मीडिया में आलोचना शुरू हुई, क्योंकि इससे कुछ लोगों के स्वार्थ प्रभावित हुए. सूत्रों के मुताबिक, ED को पवार दंपत्ति के परिसरों से पुणे और नासिक में बेनामी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज मिले हैं. इनमें से कुछ संपत्तियां भारती पवार और उनके रिश्तेदारों के नाम पर पंजीकृत हैं. एजेंसी अब इन संपत्तियों की जांच कर रही है और दोनों से पूछताछ जारी रखेगी.

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