कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में एक छात्रावास की दूसरी मंजिल से गिरकर जिस छात्र की मौत हुई, उसने घटना से एक घंटे पहले अपनी मां को फोन किया था. तकरीबन 100 किमी दूर रह रही मां को छात्र ने बताया था कि वह डरा हुआ है और जल्दी आने का अनुरोध किया. बेटे ने मां को कहा कि मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है. वहीं परिवार और एक सहपाठी ने आरोप लगाया है कि 18 वर्षीय छात्र रैगिंग का शिकार था.
स्वप्नदीप कुंडू बंगाली (ऑनर्स) के प्रथम वर्ष का स्नातक छात्र था और बुधवार रात करीब 11.45 बजे विश्वविद्यालय के मुख्य छात्रावास भवन की बालकनी से गिर गया था. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां गुरुवार सुबह 4.30 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया.
स्वप्नदीप के चाचा अरूप कुंडू ने कहा, "स्वप्नदीप ने बुधवार शाम को अपनी मां से बात की. उसने उन्हें बताया कि उसे अच्छा महसूस नहीं हो रहा है और डर लग रहा है. उसकी मां ने उससे पूछा कि क्या हुआ है. उसने कहा, 'कृपया आप जल्दी आएं. मुझे आपको बहुत सारी बातें बतानी हैं.' फिर मैंने उसे वापस फोन किया, फोन बजता रहा, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. लगभग एक घंटे बाद, उसके माता-पिता को फोन आया कि वे कोलकाता आ जाएं, क्योंकि उनका बेटा गिर गया है.''
कुंडू ने पूछा, "शरीर पूरी तरह से ढका हुआ था, लेकिन डॉक्टर ने मुझे कागज का एक टुकड़ा दिखाया जिसमें उसके शरीर पर चोट के निशान थे. अगर यह रैगिंग नहीं थी तो यह कैसे हुआ."
स्वप्नदीप के पिता रामप्रसाद कुंडू ने पुलिस से शिकायत की कि उनके बेटे की मौत के लिए हॉस्टल के कुछ संचालक जिम्मेदार हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वप्नदीप के सहपाठियों में से एक अर्पण माझी की एक फेसबुक पोस्ट में भी 'कुछ वरिष्ठ छात्रों' द्वारा रैगिंग की ओर इशारा किया गया है और कहा गया है कि उनमें से कुछ के कारण उसने अपने सहपाठी को खो दिया है.
पुलिस ने जांच पर कोई टिप्पणी नहीं की है और जादवपुर विश्वविद्यालय भी चुप्पी साधे हुए है. हालांकि, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गुरुवार को विश्वविद्यालय परिसर में छात्र के माता-पिता से मुलाकात की. उन्होंने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया और कहा कि परिवार को न्याय मिलेगा.
कुंडस के गृहनगर, नादिया जिले के बोगुला के निवासियों ने स्वपनदीप की मौत की उचित जांच और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.
पिछले साल अक्टूबर में आईआईटी खड़गपुर के छात्र फैज़ान अहमद अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाए गए थे. हालांकि इसे आत्महत्या का मामला बता दिया गया था. असम के रहने वाले परिवार न्याय के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय गए थे और दावा किया था कि यह रैगिंग और हत्या का मामला था.
उच्च न्यायालय के आदेश पर शव को खोदकर निकालने के बाद इस साल दूसरा पोस्टमार्टम किया गया. शव परीक्षण रिपोर्ट में मृत्यु से पहले लगी चोटों का उल्लेख किया गया है. उनके परिवार ने अदालत को बताया था कि रैगिंग ने उन्हें किनारे कर दिया था और आईआईटी-खड़गपुर के प्रबंधन ने उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया था.