- केदारनाथ मंदिर से तीन किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ताल के पास एक नर कंकाल मिला.
- कंकाल के पास से मिली कॉलेज की आईडी के आधार पर मृतक युवक की पहचान हुई.
- युवक की गुमशुदगी पिछले साल अगस्त में दर्ज हुई थी, और अंतिम बार उसने उत्तराखंड में होने की जानकारी दी थी.
केदारनाथ मंदिर से 3 किमी ऊपर चौराबाड़ी ताल के समीप एक नर कंकाल मिलने से हड़कंप मच गया है. कंकाल के पास से कॉलेज की आईडी बरामद हुई है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि ये शव इसी युवक का है. कंकाल मिलने के बाद आगे की कार्रवाई को लेकर जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग भेजा गया है और कॉलेज आईडी के आधार पर परिजनों से संपर्क किया जा रहा है.
कैसे पता चला कंकाल का
मंगलवार को केदारनाथ धाम में व्यवसाय कर रहे कुछ स्थानीय युवक अपने खाली समय में केदारनाथ मंदिर से पीछे चौराबाड़ी ग्लेशियर क्षेत्रान्तर्गत घूमने गये थे. उन्होंने देखा कि इस क्षेत्र में पत्थरों के बीच मनुष्य का कंकाल दिख रहा है. इसकी सूचना स्थानीय पुलिस व प्रशासन को दी. सूचना मिलने पर चौकी केदारनाथ से आवश्यक पुलिस बल व केदारनाथ में नियुक्त प्रशासन की टीम के सदस्य यात्रा मैनेजमेंट फोर्स सहित मौके पर पहुंचे. उक्त कंकाल के पास ही एक बैग में एक मोबाइल फोन व आईडी बरामद हुई. पुलिस व वाईएमएफ टीम ने बरामद कंकाल को नियमानुसार कब्जे में लेकर केदारनाथ लाया गया.
निरीक्षक यात्रा केदारनाथ राजीव चौहान ने बताया कि उक्त कंकाल के पास से बरामद आईडी के आधार पर उक्त व्यक्ति के पते व विवरण के आधार पर तेलंगाना पुलिस एवं परिजनों से संपर्क किया गया है. परिजनों तथा सम्बन्धित जिले की पुलिस द्वारा बताया गया कि इस व्यक्ति की गुमशुदगी पिछले साल अगस्त माह की 31 तारीख को दर्ज की गयी है. परिजनों द्वारा अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में दर्ज की गयी गुमशुदगी के विवरण के अनुसार उनका इससे आखिरी बार सम्पर्क 30 अगस्त 2024 को हुआ था व इसके द्वारा उनको स्वयं को उत्तराखंड में होना बताया गया था, जबकि उसने घर से दिल्ली तक जाना बताया था.
चौराबाड़ी गलेशियर
केदारनाथ मंदिर से 3 किमी ऊपर चौराबाड़ी झील, जिसे गांधी सरोवर भी कहा जाता है, समुद्रतल से करीब 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जिसे वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है. आपदा के बाद से यहां यात्रियों का आना-जाना लगा हुआ है. कभी-कभार यात्रियों के यहां फंसने के बाद रेस्क्यू भी किया जाता है. बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद अक्सर यहां यात्रियों का आवागमन होता है, जबकि प्रशासन की ओर से यहां आवागमन पर रोक लगाई गई है.