'हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी ने की शाह से मुलाकात, बिहार में नए समीकरण की अटकलें

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. 

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बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस घटनाक्रम के बाद राज्य में नए सियासी समीकरण बनने की अटकलें लगाई जा रही हैं. मांझी ने शाह से यह मुलाकात ऐसे समय में की है, जब जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ गठबंधन बनाने के अपने प्रयास के तहत राष्ट्रीय राजधानी में हैं, जहां वह कई विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं.

हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने किसी भी तरह की अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की और अपने इस दावे को दोहराया कि नीतीश में देश का प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं. मांझी ने कहा कि उन्होंने नीतीश के साथ बने रहने की शपथ ली है. भाजपा के साथ हाथ मिलाने की किसी भी संभावना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि उसने ‘हम' जैसे छोटे दलों के अस्तित्व के खिलाफ बोला है.

दलित नेता मांझी के बेटे राज्य में राजद-जद(यू)-कांग्रेस और वामपंथी दलों की महागठबंधन सरकार में मंत्री हैं. मांझी की शाह से मुलाकात, दशरथ मांझी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न' से सम्मानित करने की ‘हम' की मांग की पृष्ठभूमि में हुई है. 

उल्लेखनीय है कि दशरथ मांझी ने पहाड़ की दो दशक तक खुदाई कर एक मार्ग बनाया था. उनकी इस उपलब्धि पर एक फिल्म भी बनी है. शाह के साथ अपनी बैठक के बाद हम प्रमुख, नीतीश से मिलने भी पहुंचे ताकि ऐसी किसी भी धारणा को दूर किया जा सके कि वह फिर से अपना रुख बदल सकते हैं. वहीं, भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बिहार में छोटे दलों को साधने में जुटी हुई है.

जीतन राम मांझी ने कहा, 'नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं और वह 2024 में बदलाव लाने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने का ईमानदार प्रयास कर रहे हैं. वह जहां भी हैं, मैं उनके साथ हूं.' उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जद(यू) की करारी हार के बाद नीतीश कुमार द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए जीतन राम मांझी ने 2015 में उन्हें (नीतीश को) कुर्सी सौंपने को कहे जाने पर बगावत कर दी थी और भाजपा से हाथ मिला लिया था.

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