रूस से आ रहा सस्ता तेल, 2 भारतीय रिफाइनरी कर रही हैं खेल: TMC सांसद जवाहर सरकार का आरोप

तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने विदेश मंत्री को लिखी एक चिट्ठी में आशंका जताई है कि गुजरात की दो रिफाइनरी कंपनियां सस्ते रूसी तेल से बंपर मुनाफा कमा रही हैं. इस चिट्ठी में जवाहर सरकार ने एक अनजान कंपनी गतिक शिप मैनेजमेंट का भी जिक्र किया है.

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टीएमसी सांसद जवाहर सरकार.

कोलकाता:

भारत ने दुनिया से बैर मोल लेकर तय किया कि भले ही रूस ने यूक्रेन पर हमला कर रखा हो, हम उसका सस्ता तेल लेंगे. इसके पीछे तर्क ये था कि हमारे देश के लिए उपभोक्ताओं को सस्ता मिल रहा है. इसलिए हमारी प्राथमिकता वही होगी. अब तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने विदेश मंत्री को लिखी एक चिट्ठी में आशंका जताई है कि गुजरात की दो रिफाइनरी कंपनियां सस्ते रूसी तेल से बंपर मुनाफा कमा रही हैं. इस चिट्ठी में जवाहर सरकार ने एक अनजान कंपनी गतिक शिप मैनेजमेंट का भी जिक्र किया है, जो रूस से आने वाले तेल का आधा हिस्सा अकेले ट्रांसपोर्ट कर रही है.

दो रिफाइनरी का रहस्य
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITMC) के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने विदेश मंत्रालय को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि गुजरात स्थित दो निजी रिफाइनरी कंपनियों ने रूस से आए तेल का निर्यात किया और खूब मुनाफा कमाया है. आरोप है कि ये दोनों रिफाइनरी यूरोपीय संघ और अन्य देशों को रूस का सस्ता तेल महंगी कीमत पर बेच रही हैं. जवाहर सरकार ने मंत्रालय से इस बारे में सफाई देने का आग्रह किया है.

अनजान कंपनी की आसमानी तरक्की
जवाहर सरकार ने इस चिट्ठी में 'फाइनेंशियल टाइम्स' और 'द वायर' में छपी खबरों का भी हवाला दिया. 'फाइनेंशियल टाइम्स' ने उल्लेख किया है कि कैसे मुंबई की एक रहस्यमयी कंपनी 'गतिक शिप मैनेजमेंट' ने केवल रूसी तेल से लाभ उठाने के लिए पिछले साल अचानक 54 तेल-टैंकर खरीदे. रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा है कि भारतीय बंदरगाहों पर इम्पोर्ट किए गए 83 मिलियन बैरल 'क्रूड ऑयल और तेल उत्पादों' में से 50% से ज्यादा की ट्रांसपोर्टिंग इसी ने की है. जबकि गतिक शिप मैनेजमेंट के बारे में ज्यादा जानकारी तक उपलब्ध नहीं है. यहां तक कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर गतिक शिप मैनेजमेंट के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

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रूस का तेल ऐसे पहुंच रहा EU
इस चिट्ठी में टीएमसी सांसद जवाहर सरकार ने फिनलैंड की थिंकटैंक CREA की रिपोर्ट का भी जिक्र किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों ने रूस से तेल खरीदने पर पाबंदी लगा रखी है. ऐसे कई देशों में भारत समेत पांच देशों से रूसी तेल घूम फिरकर पहुंच रहा है. CREA ने अपनी रिपोर्ट में उन 5 देशों के लिए Laundromat शब्द यूज किया है, जिनसे यूरोपीय देश भारी मात्रा में तेल खरीद रहे हैं. भारत के अलावा इनमें चीन, तुर्की, UAE और सिंगापुर शामिल है.

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एक साल के भीतर रूस बना नंबर-1 सप्लायर
कच्चे तेल के आयात को लेकर पहले भारत की निर्भरता पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन यानी OPEC के सदस्य देशों पर थी, लेकिन जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हुआ है, इस मोर्चे पर हालात बिल्कुल बदल गए हैं. यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले भारत के लिए रूस एक मामूली तेल निर्यातक देश था. मार्च 2022 से पहले भारत, रूस से 1% कच्चा तेल ही आयात करता था, जबकि एक ही साल में ये आंकड़ा 34% तक पहुंच गया. हालांकि इसमें फिर से निर्यात किया गया कच्चा तेल शामिल है या नहीं, ये स्पष्ट नहीं है. वर्तमान में रूस करीब 1.64 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल निर्यात के साथ भारत का नंबर वन सप्लायर है.

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आम लोगों को राहत नहीं, कहां गया मुनाफा?
राज्यसभा सांसद ने अपने पत्र में आपत्ति जताई है कि इस तरह सस्ते तेल का आयात करने के बावजूद देश के लोगों को इसका फायदा नहीं मिला, बल्कि गुजरात की दो निजी रिफाइनरीज ने इंपोर्ट किए गए तेल का फिर से एक्सपोर्ट कर बहुत ज्यादा मुनाफा कमाया है, जबकि यूक्रेन से युद्ध के बीच रूसी तेल खरीदने के लिए कई पश्चिमी देश भारत की आलोचना कर रहे हैं.

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