"लेकिन आपने तो इस्तीफा दे दिया..": उद्धव ठाकरे को फिर से CM के रूप में बहाल करने पर सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने ठाकरे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर कहा, ‘‘तो आपके मुताबिक, हमें क्या करना चाहिए? आपको बहाल करना चाहिए? लेकिन, आपने इस्तीफा दे दिया था.

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मुख्यमंत्री को कैसे बहाल कर सकती है, जिसने बहुमत परीक्षण का सामना तक नहीं किया: SC
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि वह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार को कैसे बहाल कर सकता है, जबकि मुख्यमंत्री ने बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने अदालत से महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जून 2022 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था.

ठाकरे गुट ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ ‍वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ से आदेश को रद्द करने की अपील की.

इससे एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने महज शिवसेना विधायकों के बीच मतभेद होने पर बहुमत परीक्षण का आदेश देने के लिए कोश्यारी के व्यवहार पर सवाल उठाए थे.

पीठ ने ठाकरे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर कहा, ‘‘तो आपके मुताबिक, हमें क्या करना चाहिए? आपको बहाल करना चाहिए? लेकिन, आपने इस्तीफा दे दिया था. यह ऐसा ही है, जैसे अदालत से उस सरकार को बहाल करने के लिए कहा जा रहा है जिसने बहुमत परीक्षण से पहले इस्तीफा दे दिया.''

पीठ ने सिंघवी से पूछा, ‘‘अदालत उस मुख्यमंत्री को कैसे बहाल कर सकती है, जिसने बहुमत परीक्षण का सामना तक नहीं किया.''

न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि राज्यपाल की ऐसी कार्रवाई से एक निर्वाचित सरकार गिर सकती है और किसी राज्य का राज्यपाल ऐसा नहीं चाहेगा.

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सिब्बल ने कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि इस अदालत का हस्तक्षेप नहीं होने से हमारा लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि किसी भी चुनी हुई सरकार को नहीं रहने दिया जाएगा। इसी उम्मीद के साथ मैं इस अदालत से अनुरोध करता हूं कि इस याचिका को स्वीकार करते हुए (बहुमत परीक्षण) के राज्यपाल के आदेश को दरकिनार कर दिया जाए.”

दरअसल, 29 जून 2022 को महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट चरम पर पहुंच गया था जब शीर्ष अदालत ने ठाकरे के नेतृत्व वाली 31 महीने पुरानी गठबंधन सरकार को बहुमत परीक्षण कराने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

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ठाकरे ने हार को भांपते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार बनी थी.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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