चीन और पाकिस्‍तान के गठजोड़ से कैसे निपट सकता है भारत? जानें क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

पूर्व डिप्‍लोमैट अशोक सज्‍जनहार ने कहा कि चीन हमेशा से ही पाकिस्‍तान के साथ खड़ा रहा है और हर हाल में पाकिस्‍तान के साथ खड़ा रहेगा. ऐसे में भारत को दुनिया के हर देश के साथ अपने संबंधों को बनाकर रखना होगा.

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एक्‍सपर्ट का मानना है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के पाकिस्‍तान को करारा जवाब दिया है.
नई दिल्‍ली :

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्‍तान और पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया. हालांकि इस दौरान चीन ने पाकिस्‍तान को न सिर्फ हथियार मुहैया कराए बल्कि सारी रणनीति भी बनाई. भारत और पाकिस्‍तान के बीच जब-जब संघर्ष हुआ है, चीन ने हर पाकिस्‍तान का साथ दिया है. पाकिस्‍तान में बैठे आतंकियों को बेनकाब करने की भारत की अंतरराष्‍ट्रीय मुहिम को भी चीन ने फेल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. एक्‍सपर्ट का मानना है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के पाकिस्‍तान को करारा जवाब दिया है. हालांकि पाकिस्‍तान और चीन का गठजोड़ भारत के लिए चिंता की बात है. 

पूर्व डिप्‍लोमैट अशोक सज्‍जनहार ने कहा कि चीन हमेशा से ही पाकिस्‍तान के साथ खड़ा रहा है और हर हाल में पाकिस्‍तान के साथ खड़ा रहेगा. उन्‍होंने कहा कि जाने-माने थिंकटैंक सिपरी के मुताबिक, पाकिस्‍तान के पास जो हथियार हैं, उनमें से 81 फीसदी चीन के हैं. पिछले 15-20 सालों से वह लगातार चीन से सामान ले रहा है. इसीलिए फिर चाहे वह इंटेलीजेंस हो, हथियार हो, अन्‍य सामान हो या गाइडेंस हो, हमें यह मानकर के चलना चाहिए कि चीन पाकिस्‍तान को हर तरीके की सहूलियत देगा. 

पाकिस्‍तान मानेगा नहीं, फिर आएगा: सज्‍जनहार

सज्‍जनहार ने कहा कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर जारी है, लेकिन पाकिस्‍तान मानेगा नहीं, वह फिर से आएगा. उन्‍होंने कहा कि चीन के साथ ही तुर्किये भी उसके साथ है. 

उन्‍होंने कहा कि दुनिया में बहुत उथल-पुथल है, ऐसे में भारत को हर देश के साथ अपने संबंधों को बनाकर रखना होगा. हमें भी चीन के साथ अपने संबंधों को पूरी तरह से खराब नहीं करना है. हमारी 3500 किमी लंबी सीमा उनके साथ लगती है.

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अमेरिका पर भरोसा नहीं कर सकते : सज्‍जनहार

साथ ही उन्‍होंने ट्रंप के भारत-पाकिस्‍तान के बीच सीजफायर रुकवाने और उनके अन्‍य बयानों का संदर्भ देते हुए कहा कि आप अमेरिका पर भी भरोसा नहीं कर सकते हैं. उन्‍होंने भारत का लेकर कहा कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस विश्‍वास को बहुत ही बुरा धक्‍का दिया है. ट्रंप ने चीन के साथ ट्रेड डील कर ली है. 245 प्रतिशत टैरिफ को घटाकर उन्‍होंने 30 प्रतिशत कर दिया है, वहीं यूरोप पर 50 प्रतिशत टैरिफ है और हमारे ऊपर 27 प्रतिशत टैरिफ लगा रहे हैं. 

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उन्‍होंंने कहा कि हमारे लिए इसमें एक सीख है कि दुनिया में दूसरे बहुत सारे देश हैं. उनके साथ अपने संबंधों को और गहरा करना चाहिए और चीन के साथ अपने संबंधों को बनाकर के रखें और पूरी तरह से खत्‍म न करें. 

उन्‍होंने कहा कि 1971 के युद्ध में अमेरिका ने बहुत ही प्रयास किया था चीन को भारत के खिलाफ लाने में लेकिन चीन ने मना कर दिया. पहलगाम हमले के बाद भारत को दुनिया के सभी देशों से फोन आए और दुनिया के देशों ने भारत का समर्थन किया, लेकिन चीन की ओर से सिर्फ विदेश मंत्रालय के सिर्फ प्रवक्‍ता ने अपना दुख जताया. वहीं भारत ने जब 7 मई को आतंकी ठिकानों पर हमला किया तो चीन ने खेद व्‍यक्‍त किया.

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संबंधों को बनाकर रखना चाहता है चीन: सज्‍जनहार

उन्‍होंने कहा कि चीन एशिया में खुद को बड़ी शक्ति मानता है. वह दिखाना चाहता है कि मेरा संतुलित दृष्टिकोण है, लेकिन यह संतुलित दृष्टिकोण बिलकुल नहीं है. उन्‍होंने कहा कि चीन, भारत के साथ भी अपने संबंधों को बनाकर रखना चाहता है. यही कारण है कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से सीजफायर के बाद बातचीत की. 

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उन्‍होंने कहा कि चीन और पाकिस्‍तान का गठबंधन भारत के लिए चिंता की बात है. यह बढ़ता ही जाएगा. चीन ने टेक्‍नोलॉजी में भी महारत हासिल कर ली है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि यह लड़ाई उनके लिए भी हथियारों का टेस्टिंग ग्राउंड बन गया था. इसके बाद चीन अब पाकिस्‍तान को और बेहतर तकनीक और हथियार देगा. यदि वो मिलते हैं तो भारत के लिए और चिंता की बात होगी. उन्‍होंने रक्षा बजट 3 फीसदी से अधिक करने की मांग करते हुए कहा कि तभी हम भविष्‍य के लिए अपने आपको तैयार कर पाएंगे. 

पाकिस्‍तान अकेला नहीं, चीन उसके साथ: सिवाच 

वहीं सामरिक मामलों के जानकार रिटायर्ड मेजर जनरल अश्विनी सिवाच ने कहा कि 1965, 1971 और 1999 की लड़ाई में भी पाकिस्‍तान चीन के साथ खड़ा था, लेकिन पहले पाकिस्‍तान ज्‍यादातर हथियार अमेरिका से लेता था और अमेरिका से इंटेलीजेंस भी लेता था. हालांकि अब कुछ साल से पाकिस्‍तान का झुकाव चीन की ओर है, क्‍योंकि अमेरिका ने उसे हथियार देने बंद कर दिए हैं. उन्‍होंने कहा कि हालिया चार दिन के संघर्ष में पाकिस्‍तान को चीन से हथियारों के साथ ही इंटेलीजेंस, रियल टाइम इफोर्मेशन और सैटेलाइट इमेजेज मिल रही थी.

उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान अकेला नहीं था चीन उसके साथ था. चीन की मदद पाकिस्‍तान को बहुत ज्‍यादा थी. हालांकि चीन के हथियार फेल हो गए. उन्‍होंने कहा कि भारत का ऐसा इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्‍टम था, जिसके कारण पाकिस्‍तान भारत को नुकसान नहीं पहुंचा सका. 

चीन को भी चाहिए भारत का साथ: सिवाच 

सिवाच ने कहा कि हमने पाकिस्‍तान के रडार सिस्‍टम को जाम कर दिया, जिसके बाद हमने सटीक हमले किए. यही कारण है कि हमारे हमलों में किसी भी तरह का हस्‍तक्षेप देखने को नहीं मिला. उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान ने जब जीएफ-17 और जे-10 सी से हमले किए तो हमारे इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्‍टम ने उसे नाकारा कर दिया. मुझे लगता है कि जेएफ-17 को जिस तरह से मार पड़ी है, उसे पूरी दुनिया में चीन के हथियारों के शेयर भी गिरे हैं. यह काबिले तारीफ है. 

उन्‍होंने कहा कि चीन पूरी तरह से यह नहीं दिखाना चाहता है कि वह पाकिस्‍तान के साथ है. उसकी टैरिफ को लेकर अमेरिका के साथ लड़ाई है, ऐसे में उसे कहीं न कहीं भारत का साथ चाहिए. साथ ही भारत उसके लिए बहुत बड़ा मार्केट भी है. इसलिए वो दिखाएगा कि वह न्‍यूट्रल है, लेकिन वह न्‍यूट्रल नहीं है. इसीलिए उसने पाकिस्‍तान को सब कुछ दिया. पाकिस्‍तान ने चार दिन का यह संघर्ष लड़ा तो इसके पीछे चीन था.  

चीन को सबसे ज्‍यादा क्‍या चीज सता रही है?

वहीं तुर्किये को लेकर उन्‍होंने कहा कि तुर्किये के कामीकाजी ड्रोन भी भारत के सामने फेल हो गए. इससे तुर्किये को भी बहुत नुकसान हुआ है और उसके ड्रोन की डिमांड दुनिया में कम हो गई है. वहीं चीन की पीएल-15 मिसाइल चाहने वाले कई देशों ने अपने कॉन्‍ट्रेक्‍ट कैंसिल किए हैं. यह सच्‍चाई है कि भारत ने इन चार दिनों के संघर्ष में यह साबित कर दिया है कि चीन अपने हथियार रिवर्स इंजीनियरिंग से बनाता है और उसकी कोई गारंटी नहीं है. वह टाइम टेस्‍टेड नहीं है. जब वक्‍त आने पर उनका इस्‍तेमाल किया गया तो वह फेल हो गए. आज चीन को सबसे ज्‍यादा यही चीज सता रही है. 

एलएसी पर चीन चाहेगा कि भारत कमजोर हो और इसके लिए वह हर बार पाकिस्‍तान का इस्तेमाल करेगा. पहले हमारा ध्‍यान पाकिस्‍तान की ओर था, लेकिन हमारा मुख्‍य दुश्‍मन चीन है. उन्‍होंने कहा कि पहले हमारा फोकस पहले वेस्‍टर्न सेक्‍टर में पाकिस्‍तान की ओर था, लेकिन फिर हमें लगा कि पाकिस्‍तान वेस्‍टर्न सेक्‍टर में कुछ खास नहीं कर सकता है. चीन 2017 में डोकलाम में आया और फिर 2020 में तीन डिवीजन लेकर के ईस्‍टर्न लद्दाख में आ गया. इसलिए आने वाले समय में हमारा मुख्य दुश्‍मन चीन है और इसीलिए हमने एक नई स्‍ट्राइक कोर तैयार की है और एक स्‍ट्राइक कोर को वेस्‍टर्न सेक्‍टर से हटाकर के नॉर्दन सेक्‍टर में लाए हैं. इस तरह से हमने दोनों तरफ ध्‍यान दिया है. 

चौकन्‍ना रहना होगा, डिफेंस बजट बढ़ाना होगा: सिवाच

उन्‍होंने कहा कि 22 अप्रैल से पहले किसी को नहीं लगता था कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच 15 दिनों में इस तरह की स्थिति भी पैदा हो सकती है. वहीं यह संघर्ष युद्ध में भी बदल सकता था इसलिए भारत को बहुत ही चौकन्‍ना रहना पड़ेगा और अपना डिफेंस बजट कम से कम ढाई से तीन प्रतिशत करना पड़ेगा. 

उन्‍होंने कहा कि हमने सोचा था कि अमेरिका और डोनाल्‍ड ट्रंप हमारे बेहद नजदीक है. हालांकि डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा कि दोनों ही ग्रेट कंट्री हैं, ऐसे में जिसने आतंकवाद को बढ़ावा दिया और आतंकवाद के पीड़ित को एक ही प्‍लेटफार्म पर लाकर खड़ा कर दिया. एक तरह से आप ट्रंप के वक्‍त में अमेरिका पर विश्‍वास नहीं कर सकते हैं. सच्‍चाई ये है कि हमें रियलिस्टिक बनना पड़ेगा. 

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