कनाडा में कैसी जिंदगी जीते हैं भारतीय छात्र? बेसमेंट में रहने को मजबूर, 4 गुना फीस, हेल्थ स्टाफ की कमी

कनाडा बेशक एक बेहतरीन देश है, लेकिन हर किसी को वो सब नहीं मिल पाता है; जिसके लिए कनाडा जाना जाता है. इसका ये कतई मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि कनाडा जाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. बस जाने से पहले रिसर्च अच्छा करना चाहिए.

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मौजूदा सियासी गतिरोध की वजह से कनाडा गए भारतीय छात्रों की चिंता बढ़ गई है.
नई दिल्ली:

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की ओर से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने संबंधी संगीन आरोपों के बाद दोनों देशों की सरकारों के बीच तल्खी बढ़ गई है. भारत सरकार ने ट्रूडो के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. सियासी गतिरोध (India-Canada Row) के बीच भारत और कनाडा ने एक-दूसरे के सीनियर डेप्लोमेट्स को देश से निकाल दिया है. भारत ने कनाडा से आने वाले लोगों के लिए फिलहाल वीजा (Canada Visa) पर रोक लगा रखी है. भारत में एक बड़ी संख्या में लोग कनाडा जाकर बसते हैं. इनमें से बड़ी संख्या छात्रों की होती है. मौजूदा सियासी गतिरोध के बीच कनाडा गए भारतीय छात्रों (Indian Students in Canada) को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

कनाडा में इस समय पंजाब के तकरीबन एक लाख 60 हजार छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. ये सब स्टडी वीजा पर वहां गए हैं. अकेले पंजाब से हर साल औसतन 50 हजार युवा पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं. ये नौजवान कनाडा और दूसरे मुल्कों में पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्चा निकालने के लिए वहां छोटा-मोटा काम भी कर लेते हैं.

भारतीय छात्र कनाडा पढ़ने क्यों जाते हैं ?
भारतीय छात्रों की जब विदेश में पढ़ाई की बात आती है तो बहुत-से छात्र कनाडा जाना पसंद करते हैं. यहां की क्वालिटी एजुकेशन और डिग्री का महत्व है, जिनके कारण ये इंडियन स्टूडेंट्स का फेवरेट एजुकेशन डेस्टिनेशन बना हुआ है. सबसे बड़ी बात की कनाडा में डिग्री लेने के बाद यहीं नौकरी मिलने के बहुत उम्मीद रहती है, इसलिए भी ये स्टूडेंट्स की फेवरेट जगह बना हुआ है. कनाडा में बाकी देशों जैसे यूएस, ऑस्ट्रेलिया, यूके वगैरह की तुलना में सस्ता डिग्री मिल जाता है.

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4 गुना तक देनी पड़ती है फीस
भारतीय छात्रों से कनाडा के स्थानीय छात्रों की तुलना में तकरीबन 4 गुना तक फीस ली जाती है. कनाडा की अर्थव्यवस्था में ये करीब 70,000 करोड़ का योगदान है. लेकिन ये शिकायत आम है कि भारतीय छात्रों को वहां वो सब सुविधाएं नहीं मिलती हैं, जो कनाडा के छात्रों को मिलती हैं. 

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रहने के लिए होती है दिक्कत
कनाडा पढ़ने आईं और एक डॉक्युमेंट्री का हिस्सा रहीं छात्रा बताती हैं, "मुझे एक घर मिला, जहां में 4 महीने तक रही थी. यहां और भी लोग रहते थे. साथ में रहने में दिक्कत होती थी. जैसे साफ-सफाई में परेशानी. कोई सफाई पसंद था, कोई नहीं. इससे कनाडा के लैंडलॉर्ड (मकान मालिक) हमसे परेशान हो जाते थे. इसके अलावा कल्चरल डिपरेंसेस भी होते हैं, जिसे आप इग्नोर नहीं कर सकते. आखिरकार 4 महीने बाद मुझे ये घर बदलना पड़ा. घर बदलने का एक अलग ही स्ट्रेस होता है. मुझे ऑनलाइन ये सब समझ नहीं आया."

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कनाडा में अकेले अपार्टमेंट लेकर रहना बहुत मंहगा पड़ता है. इसलिए कई लोग मजबूरी में एक साथ रहते हैं. यहां बेसमेंट तक में रहना पड़ता है. ऐसे कुछ जगहों पर सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंचती. बेसमेंट में भी कई लोग साथ रहते हैं और फेसिलिटी शेयर करते हैं. इमिग्रेशन एडवाइजर मेहताब सिंह बताते हैं कि कनाडा में घर का किराया 9.6 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. बरसों बाद सिर्फ 1.9 फीसदी घर खाली हैं. ऐसे में रहने की समस्या से सिर्फ भारतीय छात्र ही परेशान नहीं हैं, बल्कि परमानेंट रेजिडेंड और कनाडा की नागरिकता ले चुके लोग भी इसका सामना करते हैं. उन्हें कई बार मनमुताबिक घर नहीं मिल पाता.

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हेल्थ सुविधाओं की कमी
छात्रा बताती हैं, "कनाडा में हेल्थ स्टाफ की काफी कमी है. मेरा एक दोस्त किसी हादसे में जल गया था. उसे अपना घाव दिखाने के लिए वेटिंग रूम में कम से कम पांच से छह घंटे इंतजार करना पड़ा, क्योंकि यहां स्टाफ की बहुत दिक्कत है. उतने देर में तो कुछ भी हो सकता है. हम ये समझ सकते हैं. इंटरनेट पर जो दिखाया जाता है. वो पूरा सच नहीं होता."

यूनिवर्सिटी में कर देते हैं अलग-थलग 
छात्रा ने आगे बताया, "यूनिवर्सिटी पहले तो कैपेसिटी से ज्यादा इनरोल करा लेती हैं. लेकिन उनके पास कॉलेज/यूनिवर्सिटी में जगह नहीं होती. जब क्लास में ज्यादातर भारतीय छात्र होते हैं, तो वो हमें एक कम्युनिटी मानकर अलग-थलग कर देते हैं. चूंकि क्लास में जगह नहीं होती, तो हमारे लिए किसी थिएटर में लेक्चर अरेंज करवाई जाती है. जब आप इंडिया में बैठकर रिसर्च करते हैं, तो ये नहीं पता चलता. यहां आकर आपको इस सच के बारे में पता चलता है. हालांकि ऐसा हर यूनिवर्सिटी नहीं करती."

छात्रा की इन बातों पर इमिग्रेशन एडवाइजर मेहताब सिंह कहते हैं, "इसमें क्या होता है... ऐसे छात्र जिनके जरिए कनाडा के कॉलेज या यूनिवर्सिटी में अप्लाई करते हैं, वहां से कुछ झूठे वादे और लुभावने ऑफर शो किए जाते हैं. ऐसे छात्र इनके झांसे में आ जाते हैं. ये छात्र अपने कॉलेज/यूनिवर्सिटी के बारे में अच्छे से रिसर्च नहीं करते हैं. ये बहुत जरूरी है कि जहां से आप रिसर्च कर रहे हैं, वो बहुत अथॉनेटिक साइट हो. आप ऐसी जानकारियों लेते समय या तो संबंधित कॉलेज या यूनिवर्सिटी की वेबसाइट देखें या फिर गवर्नमेंट ऑफ कनाडा की साइट देखिए."

कनाडा बेशक एक बेहतरीन देश है, लेकिन हर किसी को वो सब नहीं मिल पाता है; जिसके लिए कनाडा जाना जाता है. इसका ये कतई मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि कनाडा जाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. बस जाने से पहले रिसर्च अच्छा करना चाहिए.
 

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