बिहार में शराब से हुई मौत का मामला काफी गर्माया हुआ. बीजेपी इस मामले को लेकर नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साध रही है. आज संसद में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया. लोकसभा में बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि बिहार में शराब हुई मौत पर मानवाधिकार का मामला बनता है और मृतकों का पोस्टमार्टम नही हुआ है, यहां तक कि विसरा तक नही रखा गया है.
इसी मामले पर लोक जनशक्ति पार्टी (आर) के नेता चिराग पासवान ने शराबबंदी से हुई है मौत पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की और घटना की सीबीआई जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि बिहार में सत्ता पक्ष अपनी गलती छुपाने की कोशिश कर रहा है और दोषियों के नाम पर पासी समाज के गरीब गरबा को गिरफ्तार कर रहे हैं. जिस पर जेडीयू नेता ललन सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी.
बिहार सरकार को शराब हुई मौत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नोटिस देने पर जेडीयू नेता ने कहा कि ये संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है, बाकी जगह यह संस्था कुछ क्यों नही करती है. हम ने लोकसभा में सवाल उठाया था कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कैसे जांच करने बिहार जा सकती है. यह मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है ही नहीं. ये तो अपराधिक कृत्य है जहरीली शराब बनाना और पिलाना दोनों अपराध है
मोरबी में कितने लोगों की मौत हुई क्यों नहीं कोई आयोग गया. 142 लोग मर गए पुल टूटने से हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की. बिना टेंडर के अपने चेहते को ठेका दे दिया गया. कर्नाटक में भी राष्ट्रीय मानव अधिकार को जाना चाहिए वहां भी जहरीली शराब से पीने वाले लोग की मौत हुई थी, उनके राष्ट्रपति शासन मांग करने से क्या होता है छोड़िए इन सब चीजों को.
जहरीली शराब पीना तो गलत है ना उस पर कैसे मुआवजा मिलेगा बिहार में पूरी शराबबंदी है और इस देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी ने पटना में जाकर इसका समर्थन किया है. गलत काम तो करेगा उसको तो सजा तो दिया जाएगा ना. जो भी शराब के धंधे में है उन सब पर कार्रवाई हो रही है.
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