गृह मंत्रालय की तरफ़ से दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी मिल गई है. गृह मंत्रालय की मंजूरी पर दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया भी आई है. दिल्ली सरकार ने कहा है कि 'हमें मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि MHA ने दिल्ली के बजट के मंज़ूरी दे दी है. लेकिन हम आधिकारिक मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहे हैं'. वहीं उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के बजट को स्वीकृति दे दी है और आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को यह सूचना दे दी गई है. यह बयान केंद्र तथा दिल्ली सरकार के बीच इस मुद्दे पर विवाद पैदा होने के बाद आया है.
एलजी ऑफिस से आया बयान
एलजी ऑफिस से भी इस मुद्दे पर बयान आया है. जिसमें कहा गया है अरविंद केजरीवाल, उनके मंत्री और आम आदमी पार्टी दिल्ली की जनता, मीडिया को गुमराह करने और आप सरकार की विफलताओं से उनका ध्यान भटकाने के एकमात्र उद्देश्य से जानबूझ कर झूठी बयानबाजी कर रही हैं. वह कहते रहे हैं कि केंद्र ने "राज्यों" के बजट को रोक दिया है. यह साफ तौर पर गलत है. दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है न कि एक राज्य और इसलिए यह पूरी तरह से भारत सरकार का एक हिस्सा और आंशिक है. संविधान के अनुसार विधानसभा में दिल्ली के बजट को पेश करने से पहले भारत के राष्ट्रपति की पूर्व सहमति और अनुमोदन आवश्यक है और यह पिछले 28 वर्षों से लगातार चल रहा है.
बयान में आगे कहा गया कि बजट के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेने से पहले बजट पेश करने की तारीख तय करना अपने आप में गलत है और आप सरकार की दुर्भावना को दर्शाता है. दिल्ली सरकार के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा ये कहकर दिल्ली सरकार ने फिर से मीडिया प्लेटफॉर्म से लोगों को गुमराह किया.
इससे पहले, आज दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा था कि बजट की फाइल केंद्रीय गृह मंत्रालय को उसकी स्वीकृति के लिए फिर से भेजी गई है. गहलोत ने सुबह कहा था कि गृह मंत्रालय को मंजूरी के लिए बजट फाइल प्रत्यक्ष और ईमेल दोनों के माध्यम से भेजी गई है.
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार का वर्ष 2023-24 का बजट मंगलवार को पेश किया जाना था जिसे रोक दिया गया है और इस संबंध में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार और केंद्र सरकार ने विभिन्न मदों में आवंटन को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाए.
मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र पर आरोप लगाए जाने के बाद गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने कहा था कि मंत्रालय ने आप नीत सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है क्योंकि उसके बजट प्रस्ताव में बुनियादी ढांचे और अन्य विकास पहलों के बजाय विज्ञापन के लिए धन का अत्यधिक आवंटन किया गया था.