ज्ञानवापी विवाद में अब हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक और मांग रखी है. ज्ञानवापी परिसर में सीलबंद वजूखाने और कथित शिवलिंग का भी सर्वे कराने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई करेगा. मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष दोनों की अर्जियों पर सुनवाई होगी. वकील विष्णु जैन की ओर से हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि कोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को निर्देश दे कि वो ज्ञानवापी परिसर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील किए गए वजूखाना और उससे सटे क्षेत्र का भी वैज्ञानिक सर्वे उसी तर्ज पर करे जैसा परिसर में अन्य जगहों पर हो रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
इसके अलावा सरोवर स्थित कुएं से 16 मई 2022 को बरामद हुए कथित शिवलिंग की भी जांच करने का निर्देश ASI को देने की मांग की गई. सर्वेक्षण उसी तरीके से किया जाए जैसा पिछले महीने किया गया था. दरअसल मंगलवार को ही CJI डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने याचिकाओं को सुनवाई के लिए दो हफ्ते के लिए टाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले मामला सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर सुनवाई करेंगे.
उसके बाद मुस्लिम पक्ष द्वारा एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई करेंगे. फिर अन्य मुद्दों पर सुनवाई करेंगे. दरअसल मुस्लिम पक्ष की ओर से हुजैफा अहमदी ने मांग की कि इसी से जुड़े दो अर्जियां और भी लंबित हैं. इसीलिए सारे मामलों को एक साथ सुना जाए. सीजेआई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इसको लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना है. गौरतलब है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की नियमित पूजा मामले में राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने एक वाद दायर किया था.
अभी तक श्रृंगार गौरी की पूरे साल में सिर्फ एक बार चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन पूजा करने की अनुमति है. बाकी दिनों में वहां पूजा नहीं होती है. ऐसे में रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और राखी सिंह ने अपनी याचिका में नियमित पूजा के अधिकार की मांग की है.
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