महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने मंगलवार को स्कूलों में हिंदी भाषा (Hindi Language) को लेकर बड़ा फैसला किया है. महाराष्ट्र सरकार ने प्रदेश के स्कूलों में हिंदी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. इसके साथ ही सरकार ने पहली कक्षा से पांचवीं तक हिंदी पढ़ाने के फैसले पर सरकार ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही महाराष्ट्र कैबिनेट ने मंगलवार को विभिन्न विभागों में विकास, बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक सुधार उपायों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं.
महाराष्ट्र सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने के अपने आदेश पर रोक लगा दी है.
उन्होंने कहा कि कक्षा 1 से कक्षा 5 तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य बनाया गया था, जिस पर राज्य सरकार ने अहम फैसला करते हुए इस पर रोक लगा दी है.
भाषा परामर्श समिति ने किया था विरोध
इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार की ओर से नियुक्त भाषा परामर्श समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत देशमुख ने हिंदी को अनिवार्य बनाने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध किया था. साथ ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र लिखकर समिति ने सरकार से इस आदेश को रद्द करने का आग्रह किया.
महाराष्ट्र सरकार का हिंदी को अनिवार्य बनाने का पूर्व में लिया गया निर्णय नेशनल एज्युकेशन पॉलिसी 2020 का हिस्सा था, जिसके तहत कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने की घोषणा 17 अप्रैल 2025 को की गई थी.