हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्रकार अमन भारद्वाज को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज हुई FIR को रद्द करने का आदेश दिया है. दरअसल, अमन भारद्वाज ने कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार की ई-पास योजना को लेकर बड़ा खुलासा किया था. उन्होंने राज्य सरकार की इस व्यवस्था में खामी को उजागर करने उद्देश्य से दो ई-पास के लिए आवेदन किया था. उन्होंने पहला ई-पास अमिताभ बच्चन के नाम से जबकि दूसरा ई-पास डोनाल्ड ट्रंप के नाम से मांगा था. हद तो तब हो गई थी जब सरकार की वेबसाइट में पास को विधिवत पंजीकृत किया गया और अमन को ईमेल पर इन दोनों के नाम का ई-पास भेजा भी गया. बाद में सरकारी तंत्र की इस खामी को लेकर जी पंजाब हरियाणा हिमाचल चैनल पर ये रिपोर्ट दिखाई गई थी. खबर दिखाए जाने के बाद राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक ने पत्रकार अमन भारद्वाज के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और झूठी चेतावनी के लिए पुलिस में FIR कराई थी.
इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुधवार को पुलिस से अमन भारद्वाज पर लगे सभी आरोपों को हटाने को कहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि अमन ने कोई धोखा करने के लिए उद्देश्य से इस घटना को अंजाम नहीं दिया था, लिहाजा उनके ऊपर ऐसे आरोप लगना गलत है. उन्होंने जो भी किया वो सिर्फ राज्य सरकार को अगाह करने के लिए किया. उनका उद्देश्य सिर्फ राज्य सरकार की ऑनलाइन सिस्टम को जांचने भर का था.
बता दें कि अमन भारद्वाज ने दोनों ही ई-पास के लिए अपना फोन नंबर और आधार नंबर का इस्तेमाल किया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये कमाल की बात है कि वेरिफिकेशन के दौरान जांच अधिकारी ने इस बात पर ध्यान तक नहीं दिया कि आवेदनकर्ता की पहचान औऱ आधार नंबर मैच नहीं कर रहा है. कोर्ट ने आगे कहा कि ये सिर्फ ई-पास लेने के लिए आवेदन करने भर की बात नहीं है, लेकिन इस आवेदन पर ई-पास जारी कर देने की भी बात है. जो एक बहुत बड़ी चूक है. याचिकाकर्ता ने कभी भी इन पास का इस्तेमाल हिमाचल प्रदेश में घुसने के लिए नहीं किया. उन्होंने सिर्फ सिस्टम की कमियों को उजागर करने के उद्देश्य से ये सब किया.