पानी से घर हिल रहा है, बचा लो... हिमाचल में 2 परिवार के बह 9 लोग, 150 किलोमीटर दूर मिली 4 के शव

हिमाचल प्रदेश में 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से सामान्य से 30 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. इस दौरान भारी बारिश के साथ-साथ बाढ़ की 31 घटनाएं, बादल फटने की 22 घटनाएं और 17 भूस्खलन हुए जिनमें कई लोगों की जान चली गई और इमारतों, कृषि भूमि और जंगलों को भारी नुकसान पहुंचा. इसके कारण राज्य को अब तक लगभग 740 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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हिमाचल की इस त्रासदी में न सिर्फ़ बहुत से लोग लापता हैं बल्कि हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं.
फटाफट पढ़ें
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  • मंडी में 30 जून और एक जुलाई की दरम्यानी रात 10 बादल फटने की घटनाएं, अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं में 15 लोगों की मौत हो गई.
  • मौसम विभाग के स्थानीय केंद्र ने रविवार से बुधवार तक राज्य के कुछ स्थानों पर भारी बारिश का ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है.
  • चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों के कुछ हिस्सों में कम से मध्यम स्तर की बाढ़ का खतरा होने की चेतावनी दी है.
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मंडी:

हिमाचल प्रदेश के मंडी के गोहर तहसील से करीब 20 किलोमीटर दूर पंगल्यूड गांव में सन्नाटा पसरा है. पंगल्यूड गांव में दो परिवारों के 9 लोग बह गए. 4 लोगों के शव घटना स्थल से 150 किलोमीटर दूर ज्वालापुर में मिले. सोचिए तबाही कितनी खौफनाक होगी कि पल में ही दो परिवारों को तबाह कर दिया. नदी का बहाव इतना तेज था कि 5 लोगों के शव बिलासपुर से ज्वालापुर के बीच मिले. जबकि 5 लोग अब भी लापता है.

तेज बहाव ने उजाड़ा सबकुछ

घटना को दस दिन बीत चुके हैं लेकिन 5 लोगों को NDRF और गांव के लोग अभी भी खोज रहे हैं. फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली है. पंगल्यूड गांव में 23 साल की खेम लता हमें मिली. इस हादसे में वो अब पूरे परिवार में अकेली बची हैं. उनके पिता पद्म सिंह, मां देवकी भाई झाबर और भाभी पार्वती के साथ दो छोटे बच्चे तेज बहाव में बह गए. इस बड़े दुख से खेमलता बदहवास हैं और कलेजा फट गया है. वो न तो ठीक से बोल पा रही हैं न रो पा रही है. भाई, मां और एक बच्चे की लाश मिली बाकी लोगों का कोई अता पता नहीं है.

मृतक पद्म सिंह के भाई धामेश्वर सिंह हमें उस खड्ड तक ले जाते हैं, जहां पद्म सिंह का पक्का मकान था और चार बीघे खेत पर टमाटर लगे थे. आज यहां बहकर आई लकड़ी के मलबे के सिवा कुछ नहीं है. धामेश्वर ने बताया कि रात को करीब एक बजे बाढ़ आ गई. पास में रहने वाले बुजुर्ग दंपत्ति  पक्के मकान में शरण लेने के लिए आ गए थे. पानी पहले पहली मंजिल में भरा तो 9 लोग ऊपर की मंजिल में चले गए. नदी के उसपार धामेश्वर भी मौजूद थे. लेकिन रात को बारिश और पानी का बहाव इतना तेज था कि वो मदद करने में असहाय थे.

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धामेश्वर बताते हैं कि पक्का मकान था इसलिए हमें लगा कि पानी उतर जाएगा. सुबह तक हम इनको निकाल लाएंगे. लेकिन रात दो बजे फ़ोन से बात हुई. वो बोले पानी की वजह से पूरा मकान हिल रहा है. बचा लो. फिर मोबाइल कट गया और चार लोगों की लाश 40- 150 किलोमीटर के दायरे में बिलालपुर से ज्वालापुर के बीच मिली. 5 लोग अब भी लापता है.. 

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पिता का शव अब तक नहीं मिला

पंगल्यूड गांव की तबाही में दो बुजुर्ग दंपति भी बह गए उनके बेटे नरेंद्र से हमारी मुलाक़ात हुई. नरेंद्र ने बताया कि रात 12 बजे मुझे पता चला कि नीचे पानी बहुत आ गया है. मैंने रात को एक बजे फोन किया तो पिता ने बताया कि घर टूट रहा है. वो बचने के लिए पद्म सिंह के घर जा रहे हैं और सब लोग सुरक्षित हैं. लेकिन कुछ देर बाद मैंने फ़ोन मिलाया तो न तो पिता का और न ही मां का फ़ोन मिल रहा था. आज दस दिन हो गए हैं, मेरी मां का शव बिलासपुर में मिला है. लेकिन पिता का शव अब तक नहीं मिला है.

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