हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी धार्मिक प्रथा के अंतर्गत नहीं आता : कर्नाटक HC में महाधिवक्‍ता

मुस्लिम छात्राओं को शिक्षण संस्‍थानों में हिजाब पहनकर प्रवेश से रोकने से रोकने को लेकर विवाद दिसंबर में शुरू हुआ था, जब कर्नाटक के उडुपी जिले की छह छात्राओं ने आवाज़ उठाई थी. उसके बाद लड़कियां हाईकोर्ट में गुहार करने पहुंची थीं.

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बेंगलुरु:

Hijab row: स्‍कूलों-कॉलेजों में हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश पर रोक के खिलाफ मुस्लिम छात्राओं की ओर से दाखिल याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई शुरू हुई. इससे पहले, राज्‍य के महाधिवक्‍ता की ओर से जवाब के लिए समय मांगे जाने के अनुरोध बाद कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से गुरुवार को कोर्ट में कहा गया था कि हिजाब पर रोक कुरान पर प्रतिबंध लगाने के समान है.

शुक्रवार को जब सुनवाई शुरू हुई तो राज्‍य के महाधिवक्‍ता ने पक्ष रखा. उन्‍होंने कहा कि राज्‍य सरकार का आदेश शिक्षा अधिनियम के अनुरूप है. हमारा मानना है कि  हिजाब पहनना इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा के अंतर्गत नहीं आता. हिजाब इस्‍लाम की अनिवार्य प्रथा नहीं है.  एडवोकेट जनरल ने कहा कि आर्टिकल 19 के तहत अधिकारों की श्रंखला को स्‍टेट द्वारा बनाए जाने वाले कानून द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन स्‍टेट की ओर से बनाया जाने वाला कानून आर्टिकल 25 में नहीं है. यह अधिकार सार्वजनिक व्‍यवस्‍था, नैतिकता और स्‍वास्‍थ्‍य के अधीन है.  बता दें, मुस्लिम छात्राओं को शिक्षण संस्‍थानों में हिजाब पहनकर प्रवेश से रोकने से रोकने को लेकर विवाद दिसंबर में शुरू हुआ था, जब कर्नाटक के उडुपी जिले की छह छात्राओं ने आवाज़ उठाई थी. उसके बाद लड़कियां हाईकोर्ट में गुहार करने पहुंची थीं. तभी से यह मामला बढ़ता चला जा रहा है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई भी धार्मिक प्रतीक पहनकर स्‍कूल जाने पर अस्‍थाई रोक लगा दी है. 

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