हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट आज यानी मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा. मामले में हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने पिछले माह अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी. पूर्ण पीठ में मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम खाजी और न्यायामूर्ति कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं. फैसले से पहले, राज्य सरकार ने राज्य की राजधानी बेंगलुरु में "सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए" बड़ी सभाओं पर एक सप्ताह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
बता दें कि इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) की ओर से अदालत में दलील दी गई थी कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखना चाहिए. हिजाब मामले की सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High court) की पूर्ण पीठ से राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने कहा था, ‘‘हमारा यह रुख है कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है. डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि ‘हमें अपने धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रख देना चाहिए.''
महान्यायवादी के मुताबिक, सिर्फ आवश्यक धार्मिक परंपरा को संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षण मिलता है जो नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म का आचरण करने की गारंटी देता है.अदालत की कार्यवाही शुरू होने पर मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने कहा था कि हिजाब के बारे में कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है.मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया था, ‘‘आपने दलील दी है कि सरकार का आदेश नुकसान नहीं पहुंचाएगा और राज्य सरकार ने हिजाब को प्रतिबंधित नहीं किया है तथा ना ही इस पर कोई पाबंदी लगाई है. सरकारी आदेश में कहा गया है कि छात्राओं को निर्धारित पोशाक पहनना चाहिए. आपका क्या रुख है-- हिजाब को शैक्षणिक संस्थानों में अनुमति दी जा सकती है, या नहीं? ''इसके जवाब में नावडगी ने कहा कि यदि संस्थानों को इसकी अनुमति दी जाती है तब यह मुद्दा उठने पर सरकार संभवत: कोई निर्णय करेगी. दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि हिजाब पर रोक कुरान पर प्रतिबंध लगाने के समान है.
बता दें, मुस्लिम छात्राओं को शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर प्रवेश से रोकने से रोकने को लेकर विवाद दिसंबर में शुरू हुआ था, जब कर्नाटक के उडुपी जिले की छह छात्राओं ने आवाज़ उठाई थी. उसके बाद लड़कियां हाईकोर्ट में गुहार करने पहुंची थीं. तभी से यह मामला बढ़ता चला जा रहा है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई भी धार्मिक प्रतीक पहनकर स्कूल जाने पर अस्थाई रोक लगा दी है.
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