'आप मशाल लेकर क्‍यों चल रहे है' : रामदेव की टिप्‍पणी पर HC की डॉक्‍टरों की संस्‍था से दोटूक

हाईकोर्ट ने कहा, 'कल को हमें लग सकता है कि होम्‍योपैथी फर्जी/नकली है. यह केवल राय है इसके खिलाफ केस कैसे किया जा सकता है?

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ऐलोपैथी के खिलाफ बयानों के लेकर बाबा रामदेव इस समय विवादों में हैं
नई दिल्ली:

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने योगगुरु बाबा रामदेव को नोटिस भेजा है. बाबा रामदेव के एलोपैथी के खिलाफ बयान के कारण उठे विवाद में दिल्‍ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) की ओर से किए गए मुकदमे पर HC ने यह नोटिस भेजा है. कोर्ट ने उन्हें इस चरण पर रोकने का आदेश देने से इनकार करते हुए कहा कि एलोपैथी पेशा इतना कमजोर नहीं है. बहरहाल, कोर्ट ने योग गुरु के वकील से मौखिक रूप से कहा कि वह रामदेव से उकसाने वाला कोई भी बयान नहीं देने को कहें.न्यायमूर्ति एस हरिशंकर ने कहा, ‘‘राजीव नायर एक सम्मानीय वरिष्ठ (वकील) हैं. मुझे भरोसा है कि उनके मुवक्किल उनकी बात सुनेंगे.'' कोर्ट ने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) की ओर से दायर वाद पर योग गुरु को समन जारी किया और उनसे तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा. HC ने मामले की सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.  डॉक्‍टरों की इस संस्‍था ने रामदेव के बिना शर्त माफी पर एक रुपये के सांकेतिक मुआवजे की मांग की है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसोसिएशन को मुकदमे की बजाय याचिका दायर करने को कहा है.

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गर्मागर्म बहस के बीच कोर्ट ने  DMA से कहा, 'आप लोगों को कोर्ट का समय बर्बाद करने के बजाय महामारी का इलाज करने में समय लगाना चाहिए.' लेकिन डीएमए ने बयानों को लेकर सख्‍त ऐतराज जताया. उसकी ओर से कहा गया, 'बाबा रामदेव की टिप्‍पणियां डीएमए के सदस्‍यों को प्रभावित कर रही हैं. वे डॉक्‍टरों का नाम ले रहे हैं, वे कह रहे हैं कि यह साइंस (allopathy) फर्जी है. रामदेव गलत तरीके से कोरोनिल को कोविड के इलाज के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं. यहां तक कि सरकार ने भी उनसे इसका विज्ञापन नहीं करने को कहा था लेकिन इस बीच में उन्‍होंने 250 करोड़ रुपये कीमत की कोरोनिल की बिक्री की है.'

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इस पर कोर्ट ने कहा, 'कल को हमें लग सकता है कि होम्‍योपैथी फर्जी/नकली है. यह केवल राय है इसके खिलाफ केस कैसे किया जा सकता है? यदि यह यह मान भी लें कि वह जो कह रहे हैं वह गलत और भ्रामक है तो भी लोकहित में इस तरह से मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता. ऐसे में जनहित याचिका (public interest litigation या PIL) होनी चाहिए.' कोर्ट ने कहा कि यदि पतंजलि नियमों का उल्‍लंघन कर रही है तो इस पर सरकार को कार्रवाई करनी है, आप 'मशाल' लेकर क्‍यों चल रहे हैं. यह मुकदमा नहीं जनहित याचिका है. बेहतर होगा कि आप जनहित याचिका फाइल करें. कोर्ट ने रामदेव के बयान की वीडियो क्लिप के बजाय वेब लिंक देने को लेकर भी डीएमए पर सवाल उठाया. 
 

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