बिलकीस बानो केस की सुनवाई से एक जज ने खुद को किया अलग, अब सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में आज बिलकीस बानो केस से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट की एक जज ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है.

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गुजरात सरकार हलफनामा दाखिल कर रिहाई को कानून के मुताबिक बता चुकी है.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में आज बिलकीस बानो की याचिकाओं पर सुनवाई होने जा रही है. सुप्रीम कोर्ट की एक जज बेला एम त्रिवेदी ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है, जिस वजह से इस मामले में दूसरी बेंच सुनवाई करेगी. पहले मामले में बिलकीस के 11 कसूरवारों को दी गई उम्रकैद की सजा में समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई की. इससे पहले सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट नोटिस जारी कर चुका है.

इसके साथ ही गुजरात सरकार हलफनामा दाखिल कर रिहाई को कानून के मुताबिक बता चुकी है. बिलकिस ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि दोषियों की समय से पहले रिहाई न केवल बिलकिस, उसकी बड़ी हो चुकी बेटियों, उसके परिवार के लिए, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरे समाज के लिए एक झटका है. बिलकिस सहित पूरे देश और पूरी दुनिया को रिहाई की चौंकाने वाली खबर के बारे में तब पता चला जब वो रिहा हो गए.

उन्हें पूरे सार्वजनिक चकाचौंध में माला पहनाई गई और सम्मानित किया गया और मिठाइयां बांटी गईं. ये घटना इंसानों के एक समूह द्वारा इंसानों के एक अन्य समूह जिसमें असहाय और निर्दोष लोगों पर अत्यधिक अमानवीय हिंसा और क्रूरता का सबसे भीषण अपराधों में से एक है. उनमें से अधिकांश या तो महिलाएं या नाबालिग थे. एक विशेष समुदाय के प्रति नफरत से प्रेरित होकर उनका कई दिनों तक पीछा किया गया.

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अपराध की शिकार होने के बावजूद  रिहाई की ऐसी किसी प्रक्रिया के बारे में कोई खबर नहीं दी गई. इस रिहाई से वो बेहद आहत, परेशान और निराश है. उन्होंने सभी दोषियों की समय से पहले रिहाई से संबंधित कागजात/पूरी फाइल का अनुरोध करने के लिए राज्य सरकार से संपर्क किया था, लेकिन रिमाइंडर के बावजूद राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब या कागजात नहीं आया 

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SC ने पहले ही घोषित किया है कि सामूहिक छूट स्वीकार्य नहीं है. प्रत्येक दोषी के मामले की उनके विशिष्ट तथ्यों और अपराध में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के आधार पर व्यक्तिगत रूप से जांच जरूरी है.

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