सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर दाखिल याचिकाओं पर संविधान पीठ में 12वें दिन सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार पर बड़े सवाल उठाए. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आखिर किस तरह अनुच्छेद-367 में संशोधन कर जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटाया जा सकता है... क्या जम्मू-कश्मीर राज्य की सहमति जरूरी नहीं थी? जब दूसरा पक्ष ( जम्मू-कश्मीर विधानसभा) मौजूद नहीं था, तब सहमति कैसे मिली! क्या अनुच्छेद-370 को हटाने के लिए एक तरीके से अनुच्छेद-370 का इस्तेमाल किया जा सकता है...? सुप्रीम कोर्ट के सवालों के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही बना रहेगा. जम्मू-कश्मीर को राज्य के दर्जा देने के लिए 31 अगस्त को पॉजिटिव बयान देंगे.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव होने के बारे में सुप्रीम कोर्ट को 31 अगस्त को बताएंगे. इलाके में स्थानीय निकाय चुनाव पहले से ही हो रहे हैं. सितंबर में लद्दाख और कारगिल में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जवाब में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि विधानसभा नहीं थी, तो राज्यपाल ही इसके लिए प्राधिकरण हुए. स्पष्टीकरण यह है कि यह केवल संविधान सभा शब्द को विधानसभा के साथ प्रतिस्थापित करता है. जम्मू-कश्मीर के लोग अब देश के किसी भी अन्य नागरिक के बराबर अधिकारों का आनंद ले रहे हैं. अनुच्छेद-370 का प्रावधान जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ उचित एकीकरण की अनुमति नहीं देता था."
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अनुच्छेद-370 का प्रावधान हटने से मनोवैज्ञानिक असमानता दूर हो गई है, एकता लाने के किसी भी कदम का स्वागत किया जाना चाहिए. संशोधन संसद की इच्छा के माध्यम से व्यक्त की गई लोगों की इच्छा है. संविधान सभा बिना किसी सिफारिश के भंग कर दी जाती है, तो आवश्यकता की वह शक्ति चली जाती है, क्योंकि प्रावधान समाप्त होने के परिणामस्वरूप मुख्य प्रावधान निष्क्रिय नहीं हो सकता है. राष्ट्रपति को उनकी अपनी पसंद पर छोड़ दिया गया.
सीजेआई ने इस पर सवाल किया, आप कह रहे हैं कि ऐसे अन्य प्रावधानों का मतलब अनुच्छेद 367 है? अनुच्छेद 370(1) अन्य प्रावधानों को संदर्भित करता है. लेकिन क्या आप अनुच्छेद 367 का उपयोग कर सकते हैं और अनुच्छेद 367 में संशोधन कर सकते हैं और अनुच्छेद 370 में बदलाव ला सकते हैं. यह 370(1) का उपयोग करते समय) (घ)...तो क्या आप धारा 370 नहीं बदल रहे? जबकि 370(1)(डी) का उद्देश्य संविधान के अन्य प्रावधानों में संशोधन करना है और इसलिए क्या आप इसका उपयोग अनुच्छेद-370 में संशोधन करने के लिए कर सकते हैं?
सीजेआई ने कहा कि यह मामले का मूल है. इसमें स्पष्टता की आवश्यकता है. दूसरे पक्ष ने बार-बार इसे उठाया.
सालिसिटर जनरल ने कहा, "मैं जवाब दूंगा, लेकिन दूसरा पक्ष मुझे डिरेल करने की ना करे.
CJI ने कहा- कृपया पटरी से न उतरें. यह मामले का मूल है. हमें उत्तर चाहिए.
सालिसिटर जनरल ने कहा- अनुच्छेद-370 का प्रभाव जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के निवासियों को उनके साथी नागरिकों के बराबर व्यवहार से वंचित करना था. यह भी एक सूचक संकेतक है कि संविधान निर्माता इसे स्थायी बनाने का इरादा नहीं रखते थे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, "जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे? जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली जरूरी है." सुप्रीम कोर्ट ने तीन सवाल पूछे कि आखिर संसद को राज्य के टुकड़े करने और अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का अधिकार किस कानूनी स्रोत से मिला? इस अधिकार स्रोत का दुरुपयोग नहीं होगा इसकी क्या गारंटी है? तीसरा सवाल ये कि आखिर कब तक ये अस्थाई स्थिति रहेगी? चुनाव करा कर विधानसभा बहाली और संसद में प्रतिनिधित्व सहित अन्य व्यवस्था कब तक बहाल हो पाएगी? लोकतंत्र की बहाली और संरक्षण सबसे जरूरी है. कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप कश्मीर के लिए सिर्फ इसी दलील के आधार पर ये सब नहीं कर सकते कि जम्मू कश्मीर सीमावर्ती राज्य है और यहां पड़ोसी देशों की कारस्तानी और सीमापर से आतंकी कार्रवाई होती रहती है.
सॉलिसिटर जनरल:- यह सदन में दिया गया बयान है कि यह एक अस्थायी है. स्थिति सामान्य होने के बाद हम चाहते हैं कि यह फिर से राज्य बने.
सीजेआई:- हम इस तथ्य से अवगत हैं कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले हैं. हम समझते हैं कि अंततः राष्ट्र की सुरक्षा ही सर्वोपरि चिंता है, लेकिन बंधन में डाले बिना, आप और एजी उच्चतम स्तर पर निर्देश मांग सकते हैं. क्या कोई समय सीमा ध्यान में है?
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र शासित प्रदेश स्थायी नहीं है. हमने निर्देश लिए हैं. हम जम्मू-कश्मीर को लेकर गुरुवार को जवाब देंगे.