आपने विश्वास मत का सामना किया होता तो ये खुले वोट होते और...: शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट से SC

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के इस मामले में संविधान पीठ से कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी में दो फाड़ होने की स्थिति में सरकार बनाने को लेकर राज्यपाल खुद से कदम आगे नहीं बढ़ा सकते.

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शिवसेना vs शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगले मंगलवार को सुनवाई जारी रहेगी
नई दिल्‍ली:

Shiv sena Vs Shiv sena case: शिव सेना बनाम शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों के संविधान पीठ में सुनवाई के दौरान  CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश कपिल सिब्बल को कहा अगर आपने विश्वास मत का सामना किया होता, तो ये खुले वोट होते और हार जाते. अगर इन 39 लोगों ने फर्क किया होता तो यह स्पष्ट होता. वोटिंग पैटर्न दिखाएगा कि क्या इन 39 ने विश्वास मत को प्रभावित किया. यदि आप केवल इन 39 के कारण विश्वास मत हार जाते तो आप जान जाते कि यदि वे अयोग्य हुए, तो आप जीत जाएंगे लेकिन मान लीजिए कि आप विश्वास मत में जाते हैं. स्पीकर को नहीं रोकना चाहिए और इन 39 को बाहर रखा जा सकता है क्योंकि यह अपने आप में अयोग्यता है परिणाम क्या है?

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के इस मामले में संविधान पीठ से कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी में दो फाड़ होने की स्थिति में सरकार बनाने को लेकर राज्यपाल खुद से कदम आगे नहीं बढ़ा सकते. इस पर सीजीआई ने पूछा  कि जब आपके पास बहुमत की स्थिति नहीं हो तब संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल क्या सरकार बनाने को लेकर कोई कदम नहीं बढ़ाएंगे. यह राज्यपाल का अधिकार है या नहीं. सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल का कदम संविधान के अनुरूप नहीं था. सीजेआई ने कहा कि राज्यपाल कह सकते हैं कि बहुमत किसके पास हैं, जबकि आपने विधायकों की बड़ी संख्या गवां दी हो. प्रथम दृष्टया ऐसा हो सकता है.आखिर राज्यपाल की क्या भूमिका है.सिब्बल ने कहा कि सदन में पहले बहुमत पर फैसला होता है. जब वहां नहीं होती तब राज्यपाल की भूमिका शुरू होती है. इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. राज्यपाल ने पहले ही शपथ दिला दी 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "मैंने देखा है  राज्यपाल के सामने विधायकों को पेश होते हुए क्या राज्यपाल यह नहीं कह सकते कि आप सदन में बहुमत साबित करें और मेरे सामने  आइए और दिखाइए कि आपके पास कितने विधायक हैं.  CJI ने कहा-  राज्यपाल निश्चित रूप से कह सकते हैं कि मुझे दिखाइए कि आपके पास सदन में 80 में से 40 विधायक हैं. सिब्बल ने कहा लेकिन राज्यपाल अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकता तो फिर स्पीकर का क्या काम.  CJI ने कहा  राज्यपाल अयोग्यता के दायरे में  नहीं जा सकते हैं और वह अयोग्यता का सामना कर रहे विधायकों को प्रोटेक्ट भी नही कर सकते लेकिन इन सभी राजनीतिक तकरार में  जिसे मुख्यमंत्री बनाया जाता है वह लोगों और सदन के प्रति जवाबदेह होना चाहिए.दलबदल सरकार की स्थिरता को प्रभावित करता है."

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सिब्बल ने कहा कि  राज्यपाल किसी ऐसे व्यक्ति को पद की शपथ नहीं दिला सकते जिसके खिलाफ अयोग्यता का मामला हो. मुख्य न्‍यायाधीश ने कहा हां आपकी सोच सही है. सिब्बल ने कहा किसी को राज्यपाल को बताना होगा कि मुख्यमंत्री सदन का विश्वास खो चुके हैं. सिब्बल की दलील पूरी हो गई है. अब उद्धव गुट की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें शुरू हो चुकी हैं. अगले मंगलवार को सुनवाई जारी रहेगी. 

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