अवमानना मामले में विजय माल्या के खिलाफ टली सुनवाई, अब सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में विजय माल्या को जवाब देने का आखिरी मौका देते हुए कहा था कि माल्या की अनुपस्थिति में ही सजा के मुद्दे पर आगे बढ़ने का फैसला करेगा.

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जस्टिस ललित ने कहा कि हमने बहुत इंतजार कर लिया
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भगौड़े कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के खिलाफ अवमानना के मामले (Vijay Mallya contempt case) की सुनवाई को फिलहाल टाल दिया है. अब इस मामले में कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में  सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को जवाब देने का आखिरी मौका दिया देते हुए कहा था कि माल्या की अनुपस्थिति में ही सजा के मुद्दे पर आगे बढ़ने का फैसला करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर माल्या अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो अदालत इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ेगी. इससे पहले यानि दस फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को जवाब देने का आखिरी मौका दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माल्या अदालत के निर्देशों का जवाब देने के लिए स्वतंत्र हैं वरना माल्या की अनुपस्थिति में ही सजा के मुद्दे पर आगे बढ़ने का फैसला किया जाएगा . अगर माल्या अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो अदालत इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ने पर विचार करेगी.

सुनवाई के दौरान जस्टिस ललित ने कहा था कि अब मामला अवमानना को लेकर है. नियम के अनुसार दोषी को भी सुना जाना जरूरी है.  हालांकि माल्या कभी भी अदालत में पेश नहीं हुए. अब तक उनके वकील ही कोर्ट में आते रहे हैं. इससे पहले एक मामला जस्टिस करनन का था जो पेश नहीं हुए तो सात जजों के पीठ ने सजा सुना दी थी. ऐसा कर के माल्या अदालत से भाग रहे हैं. जबिक अमिकस क्यूरी जयदीप गुप्ता ने कहा था कि उनको खुद आने की जरूरत नहीं है.

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जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस बेला एम  त्रिवेदी की बेंच को सलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने विदेश मंत्रालय का नोट सौंपा था इसके मुताबिक माल्या का प्रत्यार्पण अपने अंतिम चरण में है. हालांकि जस्टिस ललित ने कहा कि हमने बहुत इंतजार कर लिया. ये दिन के उजाले की तरह साफ है कि इस शख्स को कार्यवाही में हिस्सा लेना होता तो वो यहां आता लेकिन उन्होंने अपना वकील भेजा है.

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अगर माल्या चाहें तो अपना लिखित जवाब दे सकते हैं. - अगर माल्या खुद  नहीं आते हैं तो इनके वकील बहस करेंगे. इससे पहले 9 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अवमानना का दोषी माना था क्योंकि उन्होंने संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया था. कोर्ट ने 10 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था.  9 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील से माल्या को मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था.

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बैंकों ने मांग की है कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे, उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माल्या से पूछा था कि आपने जो कोर्ट में अपनी सम्पतियों के बारे में जानकारी दी थी वो सही है या नहीं ? क्या आपने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया ? क्योंकि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि माल्या बिना कोर्ट के अनुमति कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते. SC ने केंद्र सरकार से पूछा था कि माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश को कैसे लागू किया जा सकता है.

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को वापस लाने की कोशिश हो रही है. वहीं SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या पर 9200 करोड़ रुपये का बकाया है. बैकों ने कहा- माल्या की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि वह बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. विजय माल्या ने कोर्ट में कहा था कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे 9200 करोड़ रुपये बैंक के कर्ज़ को अदा कर पाएं, क्योंकि उनकी सभी सम्पत्तियों को पहले ही जब्त कर लिया गया है.

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