"रेप के बाद बच्ची को जिंदा छोड़ दिया ये उसकी दयालुता थी": हाईकोर्ट ने कम की बलात्कारी की सजा

लड़की की दादी ने उस व्यक्ति को उसके साथ बलात्कार करते हुए देखा. उसकी गवाही और मेडिकल सबूत ने साबित कर दिया कि लड़की के साथ वास्तव में बलात्कार किया गया था.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
भोपाल:

मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बलात्कार के दोषी एक शख्स की सजा आजीवन कारावास से घटाकर 20 साल कर दी. वहीं ये टिप्पणी भी की कि उसने रेप के बाद 4 साल की बच्ची को जिंदा छोड़ दिया, ये उसकी दयालुता थी. कोर्ट ने कहा कि इस वजह से आजीवन कारावास की उसकी सजा 20 साल के कठोरतम कारावास में बदली जा सकती है. हाईकोर्ट की इस टिप्पणी की अब हर तरफ चर्चा हो रही है.

दोषी ने अनुरोध किया था कि उसने अब तक 15 साल की जेल की सजा काट ली है, इसे पर्याप्त माना जाए. उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने फैसला सुनाया, "दोषी के राक्षसी कृत्य को देखते हुए, जो एक महिला की गरिमा के लिए कोई सम्मान नहीं है और 4 साल की उम्र की लड़की के साथ भी यौन अपराध करने की प्रवृत्ति है, फैसले में कोई खामी नहीं है और ऐसे अपराध के मामलों को ये कोर्ट उपयुक्त मामला नहीं मानती है."

न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर और न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार की पीठ ने आगे कहा कि, "चुंकि रेप के बाद अभियोजक ने बच्ची को जिंदा छोड़ दिया, ये उसकी दयालुता थी, इसीलिए आजीवन कारावास की उसकी सजा को कम किया जा सकता है. हालांकि उसे 20 साल कठोरतम सजा काटनी होगी."

उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, इंदौर द्वारा पारित दोष सिद्धि आदेश को पलटने का कोई कारण नहीं पाया.

वह आदमी लड़की के परिवार की झोपड़ी के पास एक तंबू में रहता था, वे सभी मजदूर के रूप में काम करते थे. जब उसने उसे एक रुपये देने के बहाने अपनी झोपड़ी में बुलाया. लड़की की दादी ने उस व्यक्ति को उसके साथ बलात्कार करते हुए देखा. उसकी गवाही और मेडिकल सबूत ने साबित कर दिया कि लड़की के साथ वास्तव में बलात्कार किया गया था.

Featured Video Of The Day
Assembly Election: BJP Headquarter में Waqf पर बोले PM Modi 'संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान नहीं'