हरियाणा में इन दिनों जारी राजनीति संकट (Haryana Political Crisis) के बीच पल-पल का घटनाक्रम बदल रहा है. विपक्षी दल नायब सैनी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए एकजुट होने लगे हैं. एक तरफ दुष्यंत चौटाला के अपना रुख पहले ही साफ कर चुके हैं. अब कांग्रेस भी सरकार गिराने की हर संभव कोशिश में जुट गया है. जेजेपी+कांग्रेस मिलकर 'नायब' की कुर्सी खींचने में जुट गए हैं. ऐसा लग रहा था कि मानो, दुष्यंत के साथ से कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है. लेकिन बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता की मलाई चख चुके दुष्यंत पर कांग्रेस आसानी से यकीन नहीं कर पा रही है.
हालांकि दोनों एक ही राह पर हैं. पहले दुष्यंत चोटाला ने हरियाणा के राज्यपाल को चिट्ठी लिख फ्लोर टेस्ट की मांग की, अब कांग्रेस विधायक दल ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है. दुष्यंत की तरह उनका भी दावा है कि बीजेपी नीत नायब सरकार बहुमत खो चुकी है. कांग्रेस भी अब राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करेगा.
क्या है जेजेपी+ कांग्रेस की रणनीति?
कांग्रेस का कहना है कि उनका विधायक दल राज्यपाल के सामने हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगाकर जल्द से जल्द चुनाव करवाने की मांग रखेगा. इससे पहले जेजेपी के दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को एक चिट्ठी लिख विधानसभा का सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट की मांग की. उन्होंने अपना रुख साफ करते हुए कहा कि नायब सरकार को गिराने वाले विपक्षी दल को उनका पूरा समर्थन है. इससे एक दिन पहले ही उन्होंने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया था. उन्होंने कांग्रेस को खुला ऑफर देते हुए कहा था कि अगर पार्टी नायब सरकार को गिराती है तो जेजेपी उनको बाहर से खुला समर्थन देगी. ये बात दुष्यंत ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में भी साफ कर दी.
जेजेपी के बाद अब कांग्रेस भी खुलकर सामने आ गई है. कांग्रेस विधायक दल ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है, ताकि वह अपनी बात उनके सामने इत्मीनान से रख सके. बता दें कि हाल ही में तीन निर्दलीय विधायकों ने नायब सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसकी वजह से उनकी कुर्सी डोलने लगी है. आपको बता दें कि 90 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 88 सदस्य हैं. इनमें 40 विधायक बीजेपी के साथ, 30 विधायक कांग्रेस के साथ, 10 विधायक जेजेपी के साथ, 1+1 विधायक इनोले और हलोपा के साथ हैं.
नायब सिंह सैनी सरकार के पास 43 विधायक थे, जिनमें से तीन निर्दलीय विधायकों, सोमबीर सांगवान (दादरी), रणधीर सिंह गोलन (पुंडरी) और धर्मपाल गोंदर (नीलोखेड़ी) ने नायब सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. जिसके बाद अब बीजेपी के पास सिर्फ 40 विधायक रह गए हैं. जब कि बहुमत के लिए उनके पास 45 विधायक होने जरूरी हैं.
किसके पास कितने विधायक, कैसे बनेगा बहुमत का आंकड़ा?
जबकि विपक्षी दल जेजेपी यह गणित लगा रहा है कि कांग्रेस के पास 30 विधायक तो पहले से ही हैं. तीन निर्दलीय बीजेपी से टूटकर उनके पाले में आ गए हैं, ऐसे में उनके 10 विधायकों के बाहर से समर्थन के बाद कांग्रेस के पास टोटल 43 विधायक हो जाएंगे. वह दो और निर्दलीय विधायकों को तोड़ लेंगे तो विधानसभा में कांग्रेस के पास बहुमत का आंकड़ा 45, हो जाएगा, जबकि बीजेपी के पास तो सिर्फ 40 विधायक ही हैं, ऐसे में उनके लिए नायब सरकार को गिराना बहुत ही आसान हो जाएगा. लगता है कि विपक्ष इसी रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है. लेकिन जिस तरह से कांग्रेस को जेजेपी पर यकीन नहीं है और भूपेंद्र हुड्डा का बयान सामने आया है, इससे दोनों मिलकर कैसे काम कर पाएंगे, ये बड़ा सवाल है.
नायब सिंह सैनी का कॉन्फिडेंस हाई
विपक्ष तो लगातार कह रहा है कि नायब सैनी सरकार अल्पमत में है. लेकिन नायब सैनी का दावा इसके इतर है. वह कह रहे हैं कि उनके पास बहुमत है, जरूरत पड़ी तो वह इसे साबित करने के लिए भी तैयार हैं. इसके साथ ही उन्होंने विपक्षी कुनबे को आइना दिखाते हुए कहा कि जो लोग बहुमत की बात कर रहे हैं, वह पहले ये तो देख लें कि खुद उनके पास कितने विधायक हैं सीएम सैनी से साफ-साफ शब्दों में कहा है कि सरपंच उनसे नाराज नहीं हैं.
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