हरिद्वार में 90% कांवड़ मुस्लिम बनाते हैं... बहिष्कार की मांग पर लोगों ने जो कहा, वो सबको सुनना चाहिए

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि और स्वामी यशवीर महाराज ने मुस्लिमों की बनाई कांवड़ का बहिष्कार करने और प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है. जानें इस विवाद पर ज्वालापुर की इंदिरा नगर बस्ती में कई पीढ़ियों से कांवड़ बना रहे मुस्लिम कारीगर और कांवड़िए क्या कहते हैं.

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  • जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतीन्द्रानंद गिरि और स्वामी यशवीर महाराज ने मुस्लिमों की बनाई कांवड़ का बहिष्कार करने की मांग की है.
  • हरिद्वार में लगभग 90 प्रतिशत कांवड़ मुस्लिम परिवारों द्वारा बनाए जाते हैं. कई परिवार तो पिछले 50 वर्षों से ये काम कर रहे हैं.
  • हरिद्वार में गंगा जल लेने आए कई कांवड़ियों ने भी कहा कि मुस्लिम भी इस देश के नागरिक हैं और ऐसे धार्मिक विवाद नहीं होने चाहिए.
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हरिद्वार:

हरिद्वार में कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही कांवड़ बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. संत समाज ने मुस्लिमों की बनाई कांवड़ का बहिष्कार और प्रतिबंध लगाने की मांग की है. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि और स्वामी यशवीर महाराज ने इस मामले में  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है.

हरिद्वार में 90% कांवड़ मुस्लिम बनाते हैं

संत समाज ने कहा है कि हिंदुओं को मुसलमानों से कांवड़ नहीं खरीदनी चाहिए. मुस्लिमों के कांवड़ बनाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए. हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र के इंदिरा नगर बस्ती में करीब 100-150 मुस्लिम परिवार हैं, जो पिछले 50 सालों से कांवड़ बनाने का काम कर रहे हैं. हरिद्वार में 90 फीसदी कांवड़ मुस्लिमों द्वारा बनाई जाती हैं. 

इंदिरा नगर बस्ती में घर-घर बनती हैं कांवड़

ज्वालापुर की इंदिरा नगर बस्ती के घर-घर में कांवड़ बनाई जाती हैं, इसमें युवाओं के अलावा महिला, बुजुर्ग और बच्चे और भी मदद करते हैं. यहां रहने वाले कई मुस्लिम परिवारों का यह पुश्तैनी काम है. कोई 30 साल से कांवड़ बना रहा है तो कोई 20 साल से, तो किसी के दादा-परदादा यह काम करते आए हैं.

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'लगता है, अब ये काम छोड़ना पड़ेगा'

इंदिरा नगर बस्ती में कांवड़ बनाने वाले नईम ने कहा कि वह पिछले 30 साल से यह काम कर रहे हैं. आज तक इस तरह की बातें सामने नहीं आईं लेकिन अब जो बातें हो रही हैं, उससे लगता है कि मुझे यह काम छोड़ना पड़ेगा. नईम ने बताया कि एक से दो लाख रुपए कांवड़ बनाने का सामान लाने में उनके खर्च हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार कांवड़ बनाने में मुझे घाटा हुआ था. इस बार भी बातें हो रही हैं कि मुस्लिम कारीगरों से कांवड़ ना खरीदी जाएं. ऐसे में हमारे पास ये काम छोड़ने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा. 

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'हिंदू भी हमारे दोस्त हैं.. ऐसी बातें ठीक नहीं'

नईम की तरह ही चांद भी यह काम पिछले 20 सालों से कर रहे हैं. उनसे पहले उनके पिता ये काम करते थे. चांद का कहना है कि डेढ़ महीने पहले लोग कांवड़ बनाने का ऑर्डर दे देते हैं. लेकिन कुछ लोग इस तरह का विवाद फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे हिंदू दोस्त भी हैं और अन्य धर्म के लोग भी हैं. हमारे बीच कभी इस तरह की बातें सामने नहीं आईं. 

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16 वर्षीय जुनैद बोला, कांवड़ से परिवार चलता है

कांवड़ बनाने में अपने पिता का हाथ बंटा रहे 16 वर्षीय जुनैद ने कहा कि 7 साल पहले उसने यह काम सीखा था. वह इसके साथ पढ़ाई भी करता है. मुस्लिमों से कांवड़ न खरीदने की मांग पर जुनैद का कहना था कि कुछ लोग झगड़ा करवाना चाहते हैं. लेकिन उन्हें सोचना चाहिए कि इसी काम से हमारा परिवार चलता है और मेरे स्कूल का खर्चा भी इसी से निकलता है.

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मुस्लिम कारीगर 300 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये कीमत तक की कई रंगों की छोटी-बड़ी कांवड़ बनाते हैं. जो ग्राहक जैसी कांवड़ चाहता है, उसको वैसी कांवड़ बनाकर दी जाती है. बताया जाता है कि हर साल लगभग 20-25 लाख रुपए का कारोबार होता है.

'कांवड़ बनाने में खर्चा ज्यादा, बचत कम.

इंदिरा नगर बस्ती के रशीद अहमद बताते हैं कि उन्होंने यह काम छोड़ दिया है. अब वे कांवड़ नहीं बनाते, दूसरा काम करते हैं. उनका कहना है कि अब इस काम में बचत नहीं रह गई है, खर्चा ज्यादा है. बाजार में अब फैंसी कांवड़ आने लगी हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर न सिर्फ कांवड़ बल्कि दशहरा में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने का काम भी होता है. लेकिन हिंदू-मुस्लिम जैसी आपसी मनमुटाव की बातें कभी सामने नहीं आईं.

कांवड़िए बोले- कोई भी बनाए, उन्हें फर्क नहीं

वहीं जब इस मामले पर हरिद्वार हर की पैड़ी में गंगा जल लेने आए कांवड़ियों से बात की गई तो उनकी अलग-अलग राय सामने आई. कुछ का कहना था कि कांवड़ को मुस्लिम बनाएं या कोई और, उन्हें फर्क नही पड़ता. लेकिन कुछ का कहना था कि ये हिंदुओं का त्यौहार है इसलिए हिंदुओं को ही कांवड़ बनानी चाहिए, मुसलमानों को नहीं.

कांवड़ लेकर हरियाणा जा रहे अंकित ने कहा कि कांवड़ को चाहे मुस्लिम बनाएं या कोई और, उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता. वह कांवड़ पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करते हैं, उसी के बाद अपने साथ ले जाते हैं. इसी तरह से करनाल से आए प्रतीक कहते हैं कि कांवड़ को अगर मुस्लिम बना रहा है तो इसमें परेशानी क्या है. वह भी तो व्यापार कर रहे हैं. हम कांवड़ पैसे से खरीदकर लेते हैं. उसे गंगाजल से पवित्र करते हैं. प्रतीक कहते हैं कि कांवड़ बनाने को लेकर इस तरह के विवाद नहीं होने चाहिए.

'मुस्लिम भी इस देश के नागरिक'

राजस्थान से आए दर्शन सिंह गुर्जर ने भी कहा कि सब लोगों की अपनी-अपनी सोच है, लेकिन मेरा मानना है कि मुस्लिम भी इस देश के नागरिक हैं तो इस तरह की बातें नहीं आनी चाहिए. अगर वह कांवड़ बना रहे हैं तो जिनको खरीदना है, वो खरीदें और जो नहीं खरीदना चाहते, वो ना खरीदें.

उन्होंने कहा कि सवाल ये नहीं है कि कौन कांवड़ बनाएगा, कौन नहीं. सवाल तो यह है कि आखिर इस तरह का विवाद खड़ा क्यों किया जा रहा है जबकि देश का संविधान सभी नागरिकों को चाहें वो किसी धर्म के हों, समान अधिकार देता है. 
 

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