हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. BJP तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. पार्टी ने 90 में से 48 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा (46) पार कर लिया है. राज्य के 57 साल के इतिहास में हैट्रिक लगाने वाली BJP इकलौती पार्टी है. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 8 सीटों का फायदा हुआ है. उधर, कांग्रेस ने 37 सीटें जीती हैं. एग्जिट पोल के नतीजों में हरियाणा में कांग्रेस की बंपर जीत का अनुमान जताया गया था. लेकिन BJP ने एग्जिट पोल के आंकड़ों को गलत साबित कर दिया है. अब CSDS-Lokniti के प्रमुख संजय कुमार ने बताया है कि एग्जिट पोल हरियाणा में क्यों फेल हो गए?
संजय कुमार ने कहा, "बेशक हरियाणा चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के अनुमान से बिल्कुल अलग हैं. हमलोगों ने जो पोल किया था, वो पब्लिक डोमेन में है. अगर उसका जिक्र किया जाए, तो नतीजों को देखकर बहुत हैरानी नहीं है. हमने अपने पोल में वोट शेयर का अनुमान लगाया था. BJP के लिए हमने 37% वोट शेयर का अनुमान लगाया था. चुनाव में BJP का 40% वोट शेयर रहा है. कांग्रेस के लिए हमने 42% वोट शेयर का अनुमान लगाया था, जो घटकर 40% हो गया है."
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अनुमान नहीं था BJP इतनी सीटों से जीतेगी
उन्होंने कहा, "हरियाणा चुनाव के नतीजों की बात करें, तो वोट शेयर के हिसाब से मैं बहुत ज्यादा हैरान नहीं हूं. बेशक नतीजों के लेकर ऐसा अनुमान किसी को नहीं था. हमें भी अनुमान नहीं था कि BJP इतनी सीटों से जीत जाएगी और कांग्रेस हार जाएगी. निश्चित रूप से यह एग्जिट पोल की कहीं न कहीं बड़ी नाकामी है."
पोस्टल बैलेट और EVM के वोटर्स का पैटर्न एक जैसा नहीं
संजय कुमार ने कहा, "क्रॉस सेक्शन ऑफ वोटर्स और पोस्टल बैलेट का पैटर्न एक जैसा नहीं होता. आजकल पोस्टल बैलेट वो भी देते हैं, जिनकी उम्र 80 के पार हो चुकी होती है. पहले ये सुविधा सिर्फ सरकारी कर्मचारियों और सेना के लिए थी. ऐसे सरकारी कर्मचारी जो वोटिंग के दिन वोट देने की स्थिति में नहीं होते, वो पोस्टल बैलेट के जरिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं. ये कहना गलत है कि पोस्टल बैलेट के वोटर और आम वोटर एक जैसे होते हैं. ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता."
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हरियाणा चुनाव का कहां-कहां दिखेगा असर?
संजय कुमार ने कहा, "हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के बाद अब झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हैं. महाराष्ट्र में BJP की गठबंधन सरकार है. अगर हरियाणा में BJP हार जाती, तो महाराष्ट्र में उसकी बारगेनिंग पावर पर असर पड़ता. इस जीत के बाद BJP महाराष्ट्र और झारखंड में अच्छी डील कर पाएगी."
संजय कुमार ने कहा, "बेशक हरियाणा विधानसभा चुनाव का असर अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में दिखेगा. बिहार में भी चुनाव होने हैं. ऐसे में सहयोगी पार्टियों को साधने में BJP को आसानी होगी."
जनता अब एग्जिट पोल पर क्यों करें विश्वास?
इसके जवाब में ध्रुव रिसर्च के सह-संस्थापक अक्षत गोयल ने कहा, "हमने भी एक वोट शेयर निकाला था. ये 38 से 48% के बीच में था. हमारी रेंच लंबी थी. लेकिन अगर हम मैथेमैटिक्स की दुनिया देखते हैं, तो उसमें एक मार्जिन ऑफ एरर होता है. हमारे एग्जिट पोल में वोट और सीट शेयर का आकलन सही नहीं बैठा."
अलग-अलग बेल्ट में जाटों का बिहेवियर अलग-अलग
अक्षत गोयल कहते हैं, "जाटों का वोटिंग बिहेवियर रोहतक, हिसार और पलवल बेल्ट में मिलता है. सर्वे के दौरान स्टेट लेवल पर जाटों का पूरा आकलन आता है. इसे सीट शेयर पर डाला जाता है, तो तब लगता है कि ये सारे के सारे सेम टाइम में सेम पैटर्न पर बिहेव करेंगे. लेकिन ऐसा होता नहीं है. इस बार एग्जिट पोल के नतीजों के साथ भी ऐसा नहीं हुआ. पलवल बेल्ट यानी बृज वाले बेल्ट में BJP ने अच्छा किया है. हिसार जाट बेल्ट में BJP ने अच्छा किया है. BJP रोहतक, जींद और सोनीपत में थोड़ा बहुत हार के आई है."
गोयल कहते हैं, "एग्जिट पोल इंडिया की इमरजिंग इंडस्ट्री है. बेशक इस बार हरियाणा के मामले में एग्जिट पोल गलत साबित हुए. लेकिन ऐसा कई बार हुआ है जब चुनाव के नतीजे एग्जिट पोल के नतीजे के समान आए थे. लिहाजा ये कहना गलत होगा कि जनता अब एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं करेगी."
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