उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न स्थानों पर धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों के आयोजन पर बृहस्पतिवार को चिंता जतायी जो कथित तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ रहे हैं. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, 'इससे पहले कि वे दूसरों को जागरूक बनने के लिए कहें, उन्हें पहले खुद को संवेदनशील बनाना होगा. उन्हें संवेदनशील नहीं बनाया गया है. इससे पूरा माहौल खराब हो रहा है.'
पीठ ने हरिद्वार धर्म संसद मामले में मुसलमानों के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़े एक आरोपी की जमानत याचिका पर उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगते हुए यह टिप्पणी की. पीठ ने जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की जमानत याचिका पर राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया.
त्यागी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उन्होंने ऐसे वीडियो देखे हैं जहां भगवा कपड़ों में लोग एकत्र हुए और भाषण दिए. लूथरा ने कहा कि त्यागी लगभग छह महीने से हिरासत में हैं और वह कई बीमारियों से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि त्यागी के खिलाफ दर्ज मामले में अधिकतम सजा तीन साल है.
शिकायतकर्ता के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि त्यागी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें कानून का भय नहीं है.
इस साल मार्च में उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद त्यागी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. हरिद्वार निवासी नदीम अली की शिकायत पर दो जनवरी 2022 को त्यागी व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
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