BJP ने फैसले का सम्मान किया होता तो उसके कार्यकर्ताओं को दूसरों के लिए ‘कालीन’ नहीं बिछाना पड़ता : उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में अजित पवार और राकांपा के कुछ अन्य विधायकों के पार्टी से बगावत करने तथा एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल होने के एक सप्ताह बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि भाजपा अपनी ‘नई टोली’ को कैसे संभालती है. 

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यवतमाल (महाराष्ट्र):

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले लिए गए ‘‘फैसले'' का सम्मान किया होता तो भाजपा कार्यकर्ताओं को अब दूसरे दलों के लिए ‘‘कालीन'' नहीं बिछाना पड़ता. महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दौरे पर यवतमाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ठाकरे ने अपना दावा दोहराया कि 2019 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले उनके तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के बीच मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर ‘‘फैसला'' लिया गया था.

महाराष्ट्र में अजित पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कुछ अन्य विधायकों के पार्टी से बगावत करने तथा एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल होने के एक सप्ताह बाद ठाकरे ने कहा कि वह यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि भाजपा अपनी ‘नई टोली' को कैसे संभालती है. उन्होंने यह भी कहा कि वह विदर्भ के अपने दौरे पर किसानों से जुड़े मुद्दे उठाएंगे. 

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ने लंबे समय तक अपनी सहयोगी रही भाजपा से मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के मुद्दे को लेकर गठबंधन तोड़ लिया था. इसके बाद उन्होंने राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाई थी, लेकिन जून 2022 में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में विधायकों की बगावत के कारण एमवीए सरकार गिर गई और शिवसेना दो धड़ों में बंट गई. बाद में शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. 

इस साल दो जुलाई को राकांपा में अजित पवार के नेतृत्व में बगावत हुई और वह उपमुख्यमंत्री के रूप में शिंदे सरकार में शामिल हो गए. राकांपा के आठ अन्य विधायकों ने शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ली. 

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने रविवार को अपना दावा दोहराया कि 2019 के चुनाव से पहले उनके तथा केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बीच एक ‘‘फैसला'' लिया गया था. उन्होंने दावा किया कि यह फैसला किया गया था कि शिवसेना और भाजपा के पास बारी-बारी से ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद रहेगा. 

उन्होंने कहा, ‘‘आज भाजपा और शिवसेना के मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर लेते. अगर वह किया गया होता तो भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को दूसरे दलों के लिए कालीन नहीं बिछानी पड़ती.''

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भाजपा ने उद्धव के इस दौरे पर निशाना साधते हुए कहा है कि जो व्यक्ति केवल दो बार ‘मंत्रालय' (सचिवालय) गया था, वह विदर्भ का दौरा कर रहा है, इस पर ठाकरे ने कहा कि भाजपा कुछ कहने के लायक नहीं है. 

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा को दूसरों पर आरोप लगाने बंद करना चाहिए और जिन्हें उसने लिया है, उन्हें संभालना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि भाजपा इस बारे में कुछ कहने के लायक है. उसके पास हमें उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है. मैं सिर्फ यह देखने का इंतजार कर रहा हूं कि भाजपा अपनी नई टोली को कैसे संभालती है.''

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महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शनिवार को कहा था कि शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के 40 विधायकों और उद्धव गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता की याचिकाओं पर जवाब मांगा गया है.

शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर उद्धव ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को पहले ही एक रूपरेखा दी है. 

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उन्होंने कहा, ‘‘अध्यक्ष को तय रूपरेखा के भीतर ही अयोग्यता के मुद्दे पर फैसला लेना होगा. अगर वह इसे नजरअंदाज करते हैं, तो उच्चतम न्यायालय के दरवाजे हमारे लिए हमेशा खुले हैं.''

शिवसेना (यूबीटी) ने हाल में उच्चतम न्यायालय का रुख करते हुए विधानसभा अध्यक्ष को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह अयोग्यता की याचिकाओं पर तेजी से सुनवाई करें. 

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उद्धव ठाकरे ने अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से संवाद करने तथा उनका मनोबल बढ़ाने के लिए रविवार को महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे का आगाज किया है. पार्टी के एक नेता ने यह जानकारी दी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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