ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मुकदमे के मुख्य वादी और विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक जितेंद्र सिंह बिसेन ने ज्ञानवापी से जुड़े सभी मामलों से खुद को अलग करने की घोषणा की है. इससे पूर्व, जितेंद्र सिंह के वकील शिवम गौड़ ने इस मामले से खुद को हटा लिया था. जितेंद्र सिंह ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘‘मैं और मेरा परिवार ज्ञानवापी से जुड़े उन सभी मामलों से स्वयं को अलग कर रहे हैं, जो देश और धर्म के हित में हमारे परिवार ने विभिन्न अदालतों में दायर किए थे.''
उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी मामलों को दायर करने के बाद से मुझे और मेरे परिवार को हर तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है. इस धर्मयुद्ध को लड़ते हुए हमारे समाज द्वारा हमें ही गद्दार घोषित किया जा चुका है.'' सिंह ने कहा, ‘‘शासन ने केवल हमें ही प्रताड़ित किया. ऐसे में शक्ति और सामर्थ्य सीमित होने की वजह से इस धर्मयुद्ध को मैं अब और नहीं लड़ सकता, इसलिए मैं यह युद्ध छोड़ रहा हूं. इस धर्मयुद्ध को शुरू करके शायद मैंने अपने जीवन में सबसे बड़ी गलती की थी.''
उन्होंने कहा, ‘‘यह समाज केवल धर्म के नाम पर नौटंकी करके समाज को भ्रमित करने वालों के साथ है. अपना सर्वस्व न्योछावर करके देश और समाज की रक्षा का कार्य करने वाले व्यक्ति को अपने ही समाज द्वारा उपेक्षित और अपमानित किया जाता है. क्षमा चाहता हूं, अब और नहीं सहा जाता.'' सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘मैं ज्ञानवापी मामले में 2021 से और श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में 2022 से लगातार पैरवी करता आ रहा हूं और लगभग एक साल से दिल्ली का अपना सारा काम छोड़कर ज्ञानवापी मामले को संभाल रहा हूं.''
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ज्ञानवापी संबंधी सभी मामलों के लिए जितेन्द्र सिंह बिसेन ने ही अधिवक्ता नियुक्त किया था, परंतु कुछ समय से उनसे अस्पष्ट चर्चा और संपर्कहीनता के चलते मैं इन दोनों मामलों से जुड़े सभी मुकदमों से बतौर अधिवक्ता हट रहा हूं. पैरवी के लिए मैंने मई, 2022 से अब तक कोई फीस नहीं ली है.'' गौरतलब है कि जितेंद्र सिंह बिसेन ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग करने वाले मुकदमे के मुख्य पैरोकार रहे हैं.
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