"नाबालिग या बालिग?"- चर्चित प्रिंस हत्याकांड में कैसे चले मुकदमा? SC ने केस को फिर भेजा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड

गुरुग्राम के एक बड़े निजी स्कूल के टॉयलेट में सात साल के एक छात्र की हत्या हो गई थी. मामले में 11 वीं के छात्र को गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त उसकी उम्र 16 साल थी, अब वो बालिग हो चुका है, ऐसे में यह सवाल है कि अब उसका ट्रायल बालिग के तौर पर होना चाहिए या अपराध के वक्त के उम्र के हिसाब से.

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नई दिल्ली:

साल 2017 के गुरुग्राम के चर्चित प्रिंस हत्याकांड केस को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) को भेजा है. बोर्ड यह तय करेगा कि आरोपी छात्र पर बालिग की तरह ट्रायल चले या नाबालिग की तरह. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत के लिए ये तय करना मुश्किल है कि आरोपी पर नाबालिग की तरह मुकदमा चले या बालिग की तरह ट्रायल हो, इसे तय करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत है. केंद्र सरकार या NCPCR इस संबंध में गाइडलाइन तैयार कर सकती हैं और ये तय करने में ज्वूनाइल जस्टिस बोर्ड की सहायता कर सकती हैं.

बता दें कि गुरुग्राम के एक बड़े निजी स्कूल के टॉयलेट में सात साल के एक छात्र की हत्या हो गई थी. बच्चे का गला रेतकर उसे टॉयलेट में छोड़ दिया गया था. मामले में 11 वीं के छात्र को गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त उसकी उम्र 16 साल थी, अब वो बालिग हो चुका है, ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि अब उसका ट्रायल बालिग के तौर पर होना चाहिए या अपराध के वक्त के उम्र के हिसाब से.

पूरे देश को झकझोर देनेवाले इस मर्डर केस में पहले स्कूल के कंडक्टर अशोक को अरेस्ट किया गया था. बाद में सीबीआई जांच टीम ने माना कि पुलिस ने जांच में काफी लापरवाही बरती और 11वीं में पढ़ने वाले आरोपी छात्र को हत्यारा मानते हुए अरेस्ट किया.

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सीबीआई ने 2018 में मामले में चार्जशीट फाइल किया था, जिसमें छात्र पर आरोप थे कि उसने एग्जाम और पैरेंट्स टीचर मीटिंग टलवाने के लिए बच्चे के मर्डर का रास्ता चुना और 8 सितंबर, 2017 को बच्चे की हत्या कर दी. 

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा कि JJB को आरोपी का नए सिरे से मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करना चाहिए. जेजेबी बोर्ड के अलावा मजिस्ट्रेट, सामाजिक कार्यकर्ता और मनोवैज्ञानिक के एक मेडिकल बोर्ड का भी गठन किया जाएगा.

इस मामले में अभी ट्रायल शुरू नहीं हो पाया है क्योंकि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था. कोर्ट का फैसला तब आया था, जब मृतक बच्चे के पिता ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि आरोपी पर केस बालिग की तरह चलाया जाए.

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