विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने बुधवार को कहा कि भारत में ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) न केवल उर्वरक, रसायन, रिफाइनिंग और लोहा जैसे क्षेत्रों के लिए ऊर्जा प्रदान कर सकता है बल्कि कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन की तुलना में कार्बन इमीशन में कमी लाने में भी मददगार है. डब्ल्यूईफ (WEF) ने एक रिपोर्ट में भारत में ग्रीन हाइड्रोजन को भरोसेमंद ऊर्जा स्रोत बनाने के लिए विस्तृत विश्लेषण किया है. इसमें कहा गया है, ‘‘ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा बदलाव के लिहाज से महत्वपूर्ण है. यह देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों का पूरा करने के साथ 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन इमीशन (Net-Zero carbon emission) के लिहाज से अहम है.''
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
इलेक्ट्रोलाइसिस के माध्यम से पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करते हैं. इसके लिए ऊर्जा जब नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ली जाती है तो उसे ग्रीन हाइड्रोजन के नाम से जाना जाता है. इसे ऊर्जा का स्वच्छ स्रोत माना जाता है.
भारत ऊर्जा जरूरतों के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
भारत वर्तमान में ऊर्जा जरूरतों के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. देश में ऊर्जा की मांग बढ़ने वाली है. 2030 तक मांग 35 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है.देश का ऊर्जा आयात बिल वर्ष 2022 में 185 अरब डॉलर था. अगर देश में बढ़ती ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए परंपरागत तरीकों का उपयोग किया जाता है तो यह आंकड़ा और बढ़ेगा.
2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन इमीशन का लक्ष्य
भारत ने 2021 में ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन इमीशन का लक्ष्य रखा है. डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेट ज़ीरो कार्बन इमीशन का लक्ष्य हासिल करने के लिहाज से ग्रीन हाइड्रोजन महत्वपूर्ण है.
सरकार ने 2022 की शुरुआत में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन शुरू किया था. इसका मकसद 2022 से 2030 के बीच मोटे तौर पर 2.3 अरब डॉलर के प्रोत्साहन के जरिये ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और खपत को बढ़ावा देना है.