कोचिंग संस्थानों पर निर्भर न रहें छात्र, सरकार करेगी इंतजाम; 9 सदस्यीय समिति हर महीने शिक्षा मंत्री को देगी रिपोर्ट

यह समिति वर्तमान स्कूली शिक्षा प्रणाली में उन खामियों की पहचान करेगी, जो छात्रों को कोचिंग संस्थानों पर निर्भर बनाती हैं. गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग और प्रमुख संस्थानों में सीमित सीटों की स्थिति का विश्लेषण करना भी इसके कार्यक्षेत्र में शामिल होगा.

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उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कोचिंग संस्थानों पर छात्रों पर निर्भरता घटाने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है. उच्च शिक्षा विभाग (Department of Higher Education) ने 9 सदस्यीय एक समिति का गठन किया है, जो स्कूली शिक्षा प्रणाली की खामियों की जांच करने, कोचिंग संस्थानों पर छात्रों की निर्भरता कम करने और उच्च शिक्षा में सुधार पर काम करेगी. समिति हर महीने शिक्षा मंत्री को एक्शन रिपोर्ट देगी.

इस समिति का अध्यक्ष उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी बनाया गया है. समिति के सदस्यों के रूप में सीबीएसई के अध्यक्ष, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DoSEL) के संस्थागत मामलों के संयुक्त सचिव के अलावा आईआईटी मद्रास, एनआईटी तिरुचिरापल्ली, आईआईटी कानपुर और एनसीईआरटी के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. 

समिति में इनके अलावा केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एक निजी विद्यालय से एक-एक प्रधानाचार्य को शामिल किया जाएगा. प्रधानाचार्य का नामांकन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DoSEL) के सचिव द्वारा किया जाएगा. इस समिति में उच्च शिक्षा विभाग (DoHE) के संयुक्त सचिव बतौर सदस्य सचिव काम करेंगे.

समिति में कौन-कौन होगा?

  • अध्यक्षः विनीत जोशी, उच्च शिक्षा सचिव 
  • सदस्यः सीबीएसई के अध्यक्ष
  • स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DoSEL) के संयुक्त सचिव (संस्थागत मामले)
  • आईआईटी मद्रास का प्रतिनिधि
  • एनआईटी तिरुचिरापल्ली का प्रतिनिधि
  • आईआईटी कानपुर का प्रतिनिधि
  • एनसीईआरटी का प्रतिनिधि
  • केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एक निजी विद्यालय से एक-एक प्रधानाचार्य
  • सदस्य सचिवः उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव

यह समिति वर्तमान स्कूली शिक्षा प्रणाली में उन खामियों की पहचान करेगी, जो छात्रों को कोचिंग संस्थानों पर निर्भर बनाती हैं. विद्यालय और उच्च शिक्षा स्तर पर प्रारूपिक मूल्यांकन (Formative Assessment) की भूमिका और प्रभाव का आकलन करेगी. 

गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग और प्रमुख संस्थानों में सीमित सीटों की स्थिति का विश्लेषण करना भी इसके कार्यक्षेत्र में शामिल होगा. यह विभिन्न करियर विकल्पों के बारे में छात्रों और पैरेंट्स के बीच जागरूकता के स्तर का मूल्यांकन भी करेगी. 

देश में होने वाली प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की प्रभावशीलता और निष्पक्षता का अध्ययन करने का जिम्मा भी इस समिति को सौंपा गया है. यह कोचिंग संस्थानों के प्रचार-प्रसार के तरीकों की समीक्षा करेगी. साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में करियर काउंसलिंग सेवाओं की उपलब्धता और प्रभावशीलता का आकलन भी करेगी. 

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गौरतलब है कि इस वक्त देश में कोचिंग संस्थान बड़े पैमाने पर संचालित हैं. इस तरह का माहौल बना दिया गया है कि अगर बच्चा कोचिंग में पढ़ाई नहीं करेगा तो वह प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाएगा. तमाम कोचिंग संस्थान पढ़ाई के नाम पर मोटी फीस वसूलते हैं. बहुत से पैरंट्स को मजबूरी में इनकी फीस भरनी पड़ती है. कई कोचिंग संस्थानों में बच्चों पर पढ़ाई का इस कदर दबाव डाला जाता है, बहुत से बच्चे उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते. 

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