सरकार ने एक करोड़ टन से ज़्यादा चीनी निर्यात पर लगाई पाबंदी, यह हो सकता है फायदा

डीजीएफटी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, एक जून, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चीनी के निर्यात की अनुमति चीनी निदेशालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की विशिष्ट अनुमति के साथ दी जाएगी.’’

विज्ञापन
Read Time: 17 mins
सरकार ने चीनी के निर्यात पर रोक लगाई.
नई दिल्ली:

सरकार ने घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने और बढ़ती कीमतों को रोकना के लिए इसके निर्यात पर 1 जून से पाबंदी लगा दी है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में कहा, "एक करोड़ टन से ज़्यादा चीनी (कच्ची, परिष्कृत और सफेद चीनी) का निर्यात 1 जून, 2022 से प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है..."

हालांकि, डीजीएफटी ने कहा कि ये पाबंदी सीएक्सएल और टीआरक्यू के तहत यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होगी. सीएक्सएल और टीआरक्यू के तहत इन क्षेत्रों में एक निश्चित मात्रा में चीनी का निर्यात किया जाता है.

एक बयान में सरकार ने कहा कि चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी की घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए, उसने एक जून से चीनी निर्यात को विनियमित करने का निर्णय लिया है.

महंगाई को लेकर सरकार का एक और अहम फैसला, इतने कम हो जाएंगे खाने के तेल के दाम

सरकार ने कहा, ‘‘हमने चीनी मौसम 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से 100 एलएमटी (लाख मीट्रिक टन) तक चीनी के निर्यात की अनुमति देने का निर्णय लिया है. डीजीएफटी द्वारा जारी आदेश के अनुसार, एक जून, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चीनी के निर्यात की अनुमति चीनी निदेशालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की विशिष्ट अनुमति के साथ दी जाएगी.''

चीनी मौसम 2017-18 में केवल 6.2 एलएमटी, 2018-19 में 38 एलएमटी और 2019-20 में 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया था. चीनी सीजन 2020-21 में 60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 लाख मीट्रिक टन का निर्यात किया गया है. चालू चीनी सीजन 2021-22 में लगभग 90 एलएमटी के निर्यात के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, लगभग 82 एलएमटी चीनी निर्यात के लिए चीनी मिलों से भेजी गई है और लगभग 78 लाख मीट्रिक टन का निर्यात किया गया है. चालू चीनी सीजन 2021-22 में चीनी का निर्यात ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक है.

महंगाई की मार के बीच सरकार का बड़ा ऐलान, गैस सिलेंडर पर मिलेगी 200 रुपए की सब्सिडी

यह निर्णय सुनिश्चित करेगा कि चीनी सीजन (30 सितंबर 2022) के अंत में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 60-65 एलएमटी बना रहे जो घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक 2-3 महीने का स्टॉक (उन महीनों में मासिक आवश्यकता लगभग 24 एलएमटी) है. कर्नाटक में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में और महाराष्ट्र में अक्टूबर से नवंबर के अंतिम सप्ताह में और उत्तर प्रदेश में नवंबर में नए सीजन में पेराई शुरू हो जाती है। इसलिए आम तौर पर नवंबर तक चीनी की आपूर्ति पिछले साल के स्टॉक से होती है.

Advertisement

खाद्य तेल औऱ खाने-पीने का सामान होगा सस्ता, जानें बढ़ती महंगाई के बीच कब मिलेगी राहत 

सरकार का दावा है कि चीनी उत्पादन, खपत, निर्यात के साथ-साथ पूरे देश में थोक और खुदरा बाजारों में मूल्य प्रवृत्तियों सहित चीनी क्षेत्र की स्थिति की लगातार निगरानी कर रही है. भारत चालू वर्ष में दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक रहा है. भारत सरकार के नियमित प्रयासों के परिणामस्वरूप, चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद पिछले चीनी सीजन 2020-21 के 99.5% गन्ना बकाया का भुगतान किया गया है और किसानों को वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 के लगभग 85% गन्ना बकाया भी जारी किया गया है.

भारत सरकार का कहना है कि घरेलू बाजार में चीनी की स्थिर कीमतों को बनाए रखने के लिए वह प्रतिबद्ध है और पिछले 12 महीनों में चीनी की कीमतें नियंत्रण में हैं. भारत में चीनी का थोक मूल्य 3150 रुपये से 3500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच सीमित है, जबकि खुदरा कीमतें भी देश के विभिन्न हिस्सों में 36 से 44 रुपये की सीमा में नियंत्रण में है.
 

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Kuwait दौरे से India वापस लौटे PM Modi, हिट रहा दौरा! | Brazil में घर से टकराया Plane, 10 की मौत
Topics mentioned in this article