यूपी : सरकार को मुफ्त राशन योजना में गेंहू को क्यों बंद करना पड़ा, ये है सबसे बड़ी वजह

हमने खबर दिखाई थी कि महीना भर पहले कि कैसे आटा मिलों पर किसानों की कतार है और सरकारी खरीद केंद्र पर सन्नाटा है. काश पहले अगर उप्र सरकार कुछ इंसेंटिव किसानों को देती तो शायद सरकारी राशन में गेहूं की कटौती न करनी पड़ती.

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मुफ्त राशन योजना से गेहूं क्यों करना पड़ा बंद.. (फाइल फोटो)

लखनऊ:

सरकारी योजना के तहत मिलने वाला गेहूं उत्तर प्रदेश में जून से नहीं मिल पाएगा.गेहूं के बदले अब लोगों को चावल दिया जाएगा. प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना के तहत उत्तर प्रदेश में लोगों के लिए इसी साल मई से सितंबर तक पांच महीने के लिए पांच किलो अनाज का आवंटन जारी किया गया था. योजना ये थी कि जून से सितंबर तक हर व्यक्ति को हर महीने 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल दिया जाएगा, लेकिन अब इस बदलाव के बाद सीधे 5 किलो चावल दिया जाएगा. गेहूं की पैदावार पर पड़े असर के बाद ये बात सामने आ रही है. इस साल पड़ी भीषण गरमी के चलते कई राज्यों में गेहूं की पैदावार बुरी तरह प्रभावित हुई है. गेहूं की कमी की चलते ही सरकार ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई है.

सरकार का अनुमान था कि गेहूं की पैदावार 11 करोड़ टन होगी जबकि सरकारी खरीद इस साल 4.44 करोड़ टन होगी, लेकिन अब तक गेहूं महज 1 करोड़ 81 लाख टन हुआ है. 2 मई तक PIB के प्रेस नोट बताया गया है कि उप्र में करीब 35 हजार किसानों से 1 लाख 47 हजार टन गेहूं खरीदा गया, जबकि बिहार के महज 318 किसानों से 1704, राजस्थान के 84 और गुजरात के महज 3 किसानों का ही गेहूं सरकारी खरीद में बिका है, जबकि तीखी गर्मी के चलते पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उप्र में गेहूं की पैदावार में करीब 15 से 20 फीसदी की कमी आई है. अब सरकार ने सरकारी खरीद की मियाद भी 15 दिन के लिए और बढ़ाई है, लेकिन प्राइवेट कंपनियां और आढ़तियों ने सरकारी खरीद मूल्यों से ज्यादा देकर उप्र में किसानों का भारी पैमाने पर गेहूं खरीद लिया है. 

हमने खबर दिखाई थी कि महीना भर पहले कि कैसे आटा मिलों पर किसानों की कतार है और सरकारी खरीद केंद्र पर सन्नाटा है. काश पहले अगर उप्र सरकार कुछ इंसेंटिव किसानों को देती तो शायद सरकारी राशन में गेहूं की कटौती न करनी पड़ती.

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गौरतलब है कि भारत के इस माह की शुरुआत में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था क्‍योंकि गर्मी के कारण उत्‍पादन प्रभावित हुआ है और घरेलू कीमतें रिकॉर्ड उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गई हैं. अंतरराष्‍ट्र्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्‍टेलिना जॉर्जिएवा ने दुनिया में खाद्य संकट पर चिंता जताई थी.

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NDTV से विशेष बातचीत में उन्‍होंने कहा था कि गेहूं निर्यात बैन पर पुनर्विचार के लिए वे जल्‍द ही भारत से अनुरोध करेंगी. स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम में एनडीटीवी से बातचीत में उन्‍होंने कहा, 'मैं इस बात से वाकिफ हूं कि भारत को करीब 1 अरब 35 करोड़ लोगों को पेट भरना है. मैं यह भी जानती हूं कि गर्मी के कारण कृषि उत्‍पादन में कमी आ गई है, इसके बावजूद मैं जल्‍द ही भारत से गेहूं के निर्यात के बैन पर पुनर्विचार का आग्रह करूंगी. जितने अधिक देशों को हम इसके लिए प्रेरित करने में कामयाब होंगे, उतना ही हमें इस वैश्विक संकट को खत्‍म करने में मदद मिलेगी. '

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