आसमान छूती वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन पर सरकार का रुख साफ नहीं

आभासी मुद्रा बिटकॉइन की कीमत पिछले करीब आठ साल में साढ़े चार लाख गुना बढ़ी

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बिटकॉइन पर सरकारी नियंत्रण नहीं है इसलिए इस पर पाबंदी की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी गई है.
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2009 में बिटकॉइन 36 पैसे का था, मई 2017 में एक लाख 62 हजार का हो गया
बिटकॉइन पर सरकारी नियंत्रण या सरकार की कोई गारंटी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा- चार हफ्ते में बिटकॉइन पर फैसला करे
नई दिल्ली: रुपये, डॉलर, यूरो, पाउंड  जैसी करेंसियों से तो आप वाकिफ हैं लेकिन अब एक नई मुद्रा परवान चढ़ रही है और ये है बिटकॉइन. कहने को तो बिटकॉइन एक आभासी यानी वर्चुअल करेंसी है लेकिन इसकी कीमत पिछले करीब आठ साल में साढ़े चार लाख गुना बढ़ी है.  

आभासी मुद्रा बिटकॉइन का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है लेकिन भारत सरकार वर्चुअल करेंसी को लेकर अब तक कोई राय नहीं बना पाई है. वित्त मंत्रालय की एक कमेटी अभी इस क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी रिपोर्ट तैयार ही कर रही है लेकिन इसे जुड़े आंकड़े चौंकाने वाले हैं. साल 2009 में बिटकॉइन 36 पैसे का था जो 2013 आते-आते 12000 रुपये का हो गया. पिछले दो साल में इसका भाव बढ़ता गया है. अभी मई में इसकी कीमत एक लाख 62 हजार हो गई.

चूंकि बिटकॉइन पर सरकारी नियंत्रण या सरकार की कोई गारंटी नहीं है इसलिए इस पर पाबंदी की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दी गई. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा है कि चार हफ्ते के भीतर बिटकॉइन पर फैसला करे. इसी महीने सरकार की बनाई एक कमेटी की रिपोर्ट भी इस मुद्रा को लेकर आ सकती है.   

वीडियो : बिटकॉइन मामले पर सरकार ने कमेटी बनाई



माना जा रहा है कि आज दुनिया भर में 2.5 करोड़ से अधिक बिटकॉइन सर्कुलेशन में हैं. इस करेंसी का इस्तेमाल सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है. कहा जाता है कि होटल बुक कराने,  सैर सपाटा करने और हीरे जवाहरात खरीदने से लेकर सट्टाबाज़ारी, कत्ल की सुपारी और फिरौती के लिए भी बिटकॉइन का इस्तेमाल हो रहा है.

आज जेबपे और यूनॉकॉइन समेत कई वेबसाइटों के जरिए आप भारत में बिटकॉइन व्यापार कर सकते हैं. बिटकॉइन खरीदने के लिए आपके पास एक बिटकॉइन वॉलेट होना चाहिए. यह एक डिजिटल करेंसी है जो एक कोड के रूप में होती है. इस जटिल कोड को ईजाद करने वाले माइनर कहे जाते हैं. बिटकॉइन का कारोबार एक ब्लॉक चेन के जरिए होता है जो बिटकॉइन वॉलेटधारियों का नेटवर्क होता है.

पहली ब्लॉकचेन जापान में सातोशी नाकामोतो ने बनाई थी. कुछ लोग कहते हैं कि सातोशी एक सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट हैं, तो कुछ लोगों को यह शक है कि सातोशी सॉफ्टवेयर के महारथियों का ग्रुप है जो दुनिया भर में फैला हुआ है.

सवाल यह है कि बिटकॉइन भविष्य की करेंसी है या एक गुब्बारा जिसे फुलाया जा रहा है, जो कभी भी फट सकता है और बहस इस बात पर भी कि जब सरकार इसकी जिम्मेदारी नहीं लेती और इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है तो यह कैसे चल रही है.
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