गोरखनाथ मंदिर हमले में यूपी पुलिस का बड़ा खुलासा, ISIS से जुड़े आरोपी के तार

इस केस की जांच में ये भी सामने आया कि आरोपी ने अपने बैंक खातों के माध्यम से यूरोप और अमेरिका में विभिन्न देशों में आईएसआईएस समर्थकों से संबंधित संगठनों के माध्यम से आईएसआईएस आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए लगभग 8.5 लाख भारतीय रुपये भेजे.

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यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने दी जानकारी
लखनऊ/गोरखपुर:

गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षाकर्मियों पर हमले का आरोपी मुर्तजा ISIS के आतंकी और प्रोपेगेंडा एक्टिविस्ट मेंहदी मसूद के साथ संपर्क में था. इस बात की जानकारी यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने दी. प्रशांत कुमार रविवार को गोरखनाथ मंदिर मामले के संबंध में यूपी आतंकवाद निरोधी दस्ते (यूपी एटीएस) द्वारा जांच से जुड़े तथ्य साझा कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने बताया कि आरोपी की मंशा हथियार छीनकर बड़ा ऑपरेशन करने की थी.

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा, "आतंकवाद निरोधी दस्ते ने अपनी जांच के दौरान आरोपी के पास मौजूद विभिन्न उपकरणों और सोशल मीडिया हैंडल का विश्लेषण किया. पुलिस अधिकारी ने कहा, "यूपी एटीएस द्वारा आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी की जांच के बाद, उसके कई ई-डिवाइस, उसके विभिन्न सोशल मीडिया अकाउंट जैसे जीमेल, ट्विटर, फेसबुक और ई-वॉलेट का डेटा विश्लेषण किया गया."

इस केस की जांच में ये भी सामने आया कि आरोपी ने अपने बैंक खातों के माध्यम से यूरोप और अमेरिका में विभिन्न देशों में आईएसआईएस समर्थकों से संबंधित संगठनों के माध्यम से आईएसआईएस आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए लगभग 8.5 लाख भारतीय रुपये भेजे. उसने इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न हथियार - एके 47, एम 4 कार्बाइन और अन्य मिसाइल प्रौद्योगिकी से जुड़े वीडियो देखें.

आरोपी के आपराधिक इतिहास को साझा करते हुए, एडीजी ने कहा, "उसे 2014 में बेंगलुरु पुलिस ने ISIS के प्रचार कार्यकर्ता मेहदी मसरूर बिस्वास के संबंध में गिरफ्तार किया था. वह आतंकी संगठनों, कट्टरपंथी प्रचारकों और ISIS-आतंकवाद के प्रमोटरों से प्रभावित था." मंगलवार सुबह से सात दिन की रिमांड पर एटीएस ने आरोपी से विस्तार से पूछताछ की. 

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राज्य की राजधानी में एक विशेष एटीएस अदालत द्वारा आगे की पूछताछ के लिए सात दिन की हिरासत रिमांड पर दिए जाने के बाद आरोपी को लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया था. आरोपी को पहले गोरखपुर जेल में बंद कर दिया गया था, फिर 16 अप्रैल को पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

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