रूस औऱ यूक्रेन युद्ध (Ukraine Russia War) से सिर्फ सोना-चांदी या कच्चा तेल (Gold Silver Crude Oil ) ही प्रभावित नहीं है. इसने पूरी अर्थव्यवस्था पर असर डाला है. हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) अनाज, निर्माण-विनिर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल से कच्चा माल भी महंगे हो रहे हैं. इससे खाने-पीने की वस्तुओं में महंगाई हो सकती है. दुनिया भर के देशों में महंगाई को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी का रुख भी दिखने लगा है. भारत में भी ब्याज दरें बढ़ीं तो आपकी होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई (EMI) भी बढ़ना तय है. आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अनुज गुप्ता का कहना है कि वभूराजनीतिक तनाव के कारण कच्चे तेल का दाम चरम पर पहुंचने का अनुमान है, इससे निवेशक सोना-चांदी की कीमती धातुओं का रुख कर रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन द्वारा रूस के तेल-गैस पर प्रतिबंध लगाने से जिंस में भी उछाल आया है.
1. सोना-चांदी फिर आसमान पर
Gold-Silver Price Updates : रूस-यूक्रेन युद्ध ने निवेशकों को बुलियन की ओर धकेल दिया है, जिससे एमसीएक्स गोल्ड (mcx gold prices) 1.32 फीसदी बढ़ने के साथ 54224 रुपये प्रति तोला तक पहुंच गया है. एक समय तो यह 55,558 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया था. स्पॉट गोल्ड मार्केट में 2070.20 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच चुका है. एमसीएक्स सिल्वर प्राइस भी 2 फीसदी बढ़कर मंगलवार रात तक 71,385 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया. स्पॉट मार्केट में सिल्वर 26.94 डॉलर के स्तर तक पहुंचा. जल्द ही सोना 55 हजार रुपये के स्तर को छू सकता है. चांदी 73 हजार के स्तर तक जा सकती है. सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में जल्द ही 2100 डॉलर और सिल्वर 27 डॉलर के स्तर तक जल्द ही पहुंच सकती है. इससे अप्रैल-मई के शादी के महीनों में आभूषणों की कीमतों पर असर देखने को मिलेगा.
2. कच्चे तेल (Crude Oil Price) में आग
कच्चे तेल का दाम 131 डॉलर प्रति बैरल हो गया है और 14 साल के उच्चतम स्तर की ओर है. यूक्रेन पर हमले के बाद इसमें 30 फीसदी तक वृद्धि हो चुकी है. कच्चे तेल में और इजाफे का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि रूस ने धमकी दी है कि अगर उसकी तेल आपूर्ति पर बैन लगा तो वो गैस सप्लाई रोक देगा और क्रूड ऑयल के दाम 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएंगे. कच्चे तेल में उछाल का असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा और इस कारण महंगाई बढ़ने की आशंका है, जो पहले ही 6 फीसदी की रिजर्व बैंक की लिमिट को छू चुकी है.
3. मेटल के दाम आसमान पर...
LME निकेल का भाव का 61.77 फीसदी बढ़कर 48631 डॉलर तक पहुंच गया है. Mcx Nickel भी 60 फीसदी बढ़कर 3567 तक पहुंच गया है. सामान्य निकेल 27 फीसदी बढ़कर 4820 हो गया है. एल्युमिनियम 310 प्रति किलो और स्टील 57,300 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गया है. कॉपर और लौह अयस्क की कीमतें भी तेजी की ओर हैं.
4. जिंस कीमतों में उछाल
देश का चालू खाते का घाटा (CAD) चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी के 2.8 प्रतिशत या 23.6 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अनुमानित चालू खाते का घाटा 13 तिमाहियों में सबसे ज्यादा स्तर होगा. रूस-यूक्रेन युद्ध का असर जिंस (Commodity) कीमतों पर पड़ा है. ढुलाई और परिवहन की लागत में इजाफा होने के साथ कच्चे तेल में भारी उछाल आ गया है. इससे खाने-पीने से लेकर मकान तक की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
5. खाद्य पदार्थों की महंगाई (Food Inflation)
कच्चा तेल और उसके बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े तो आने वाले महीनों में खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने तय हैं, कच्चा माल, परिवहन लागत बढ़ने से कंपनियां रोजमर्रा से जुड़े उत्पादों के दाम भी बढ़ सकते हैं. गर्मियों के पहले ही कंपनियां कंज्यूमर ड्यूरेबल्स या एसी, फ्रिज, (AC-Fridge) वाशिंग मशीन जैसे व्हाइट गुड्स की कीमतों में भी इजाफा करने को मजबूर हो सकती हैं. गाड़ियों के दाम पहले ही जनवरी और फरवरी में मारुति (Maruti) समेत ज्यादातर कंपनियों ने बढ़ा दिए हैं. सरसों तेल, वनस्पति तेल (Refined Oil) की कीमतों में भी फिर उछाल हो सकता है. खुदरा महंगाई पहले ही 6 फीसदी के रिजर्व बैंक के उच्चतम लेवल तक पहुंच चुकी है.
6. ब्याज दरों बढ़ीं तो बढ़ेगी ईएमआई
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों (Interest Rate) में 0.50 फीसदी बढ़ोतरी का संकेत दिया है. वहां महंगाई 7.5 फीसदी तक पहुंच जाने के बीच ये कदम उठाया गया है. ऑस्ट्रेलिया में महंगाई 12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर है. यूरोपीय देशों का भी यही हाल है. भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, श्रीलंका भी महंगाई से कराह रहे हैं. ऐसे में भारत में रिजर्व बैंक को भी महंगाई बढ़ने के साथ ब्याज दर बढ़ोतरी के रास्ते पर वापस लौट सकता है. करीब दो साल से ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं हुई है. ब्याज दरें बढ़ीं तो आपकी लोन की ईएमआई में भी इजाफा होगा.
----------अर्थव्यवस्था को नुकसान-------
रुपया (Rupees) रुला रहा
रुपया सोमवार को 84 पैसे लुढ़कर कर 77.01 प्रति डॉलर के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. यानी डॉलर के मुकाबले रुपया कभी इतना कमजोर नहीं रहा. रुपया कमजोर होने से भारत को दोहरा नुकसान होगा. कच्चे तेल और धातुओं के के ऊंचे दामों के साथ इनके आय़ात पर ज्यादा दाम चुकाने होंगे और व्यापार घाटे पर इसका असर दिखेगा. हालांकि बुधवार को थोड़ा सुधार के बाद यह 76.56 पर बंद हुआ.
स्टॉक एक्सचेंज (Stock Market) सहमा
यूक्रेन पर रूस के हमले से उपजी वैश्विक परिस्थितियों का असर स्टॉक एक्सचेंज पर भी पड़ा है. सेंसेक्स (Sensex) फरवरी शुरुआत (58862 अंक) से अब तक एक वक्त तो करीब 6 हजार अंक नीचे चला गया था. हालांकि बुधवार को दिखे सुधार के बावजूद भी यह करीब 4215 अंक नीचे चल रहा है. निफ्टी (Nifty) भी एक फरवरी को 17576.85 से लुढ़ककर 1713 अंक नीचे आ गया था. लेकिन बुधवार को रिकवरी के बावजूद अभी भी यह 1231 अंक नुकसान पर है. इससे लाखों करोड़ों रुपये का नुकसान निवेशकों को हो चुका है.