सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य, क्या पुरानी ज्वेलरी पर भी होगा हॉलमार्क, जानिए अहम बातें

सोने (Gold Hallmarking) पर अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग का आदेश बुधवार से चरणबद्ध तरीके से लागू हो गया है.

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सरकार ने सोने पर अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग का आदेश दिया था. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सोने की शुद्धता की गारंटी देने वाली हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking New Rules) अनिवार्य रूप से बुधवार से चरणबद्ध तरीके से लागू हो गई है. सरकार का कहना है कि शुरू में यह देश के 256 जिलों में पहले लागू होगा. सोने के दो ग्राम से कम वजन के आभूषणों के साथ कुंदन, पोलकी औऱ जड़ाऊ ज्वेलरी को भी अभी हॉलमार्क से बाहर रखा गया है.सरकार ने कहा है कि ज्वेलर्स पुरानी सोने की ज्वेलरी (Gold Jewelry) को ग्राहकों को खरीदना जारी रख सकते हैं. सरकार के मुताबिक, पुरानी ज्वेलरी को भी हॉलमार्क कराया जा सकता है, अगर इसे दोबारा पिघलाकर नए आभूषणों में बदला जाता है तो.

भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) वर्ष 2000 से ही गोल्ड ज्वेलरी की हॉलमार्किंग की योजना चला रहा है.  अनुमान के मुताबिक, भारत में करीब 4 लाख ज्वेलर्स हैं, जिनमें से करीब दस फीसदी ही योजना लागू होने के पहले पंजीकृत थे. भारत में हर साल 700-800 टन सोने का आय़ात किया जाता है.  उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना लंदन ने कहा कि फिलहाल 40 लाख तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को गहनों की हॉलमार्किंग कराने से छूट दी जाएगी. जो लोग ट्रेड पॉलिसी के तहत ज्वेलरी का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट करते हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के लिए ज्वेलरी और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त घरेलू प्रदर्शनी के लिए ज्वेलरी को इससे छूट दी जाएगी.

ग्राहकों के लिए सोने की शुद्धता (Gold purity) पर मानक दरों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया गया है. सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग एक शुद्धता का पैमाना है. जो अभी तक स्वैच्छिक रहा है. हॉलमार्किंग का मतलब है कि सोने को अब मानक दरों पर बेचा जा सकता है और हॉलमार्क के मुकाबले सोने का एक समान मूल्यांकन होगा.

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इस पहल से सोने के आभूषण खरीदते समय लोगों को धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा और ग्राहकों को ज्वेलरी की शुद्धता की गारंटी मिलेगी. आज से ज्वैलर्स को सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट (Gold Karat) ने के आभूषण बेचने की अनुमति होगी. हॉलमार्किंग के लिए 20, 23 और 24 कैरेट के सोने की भी अनुमति होगी.

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सरकार का कहना है कि सोने के आभूषणों की विश्वसनीयता, ग्राहकों की संतुष्टि और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाने के लिए हॉलमार्किंग की जरूरत है. अब तक केवल 40 फीसदी सोने के आभूषणों पर हॉलमार्क था.

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बताते चलें कि नवंबर 2019 में सरकार ने स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों पर ‘हॉलमार्किंग' 15 जनवरी, 2021 से अनिवार्य किए जाने की घोषणा की थी. हालांकि ज्वैलर्स की कोरोना महामारी के कारण समयसीमा बढ़ाए जाने की मांग के बाद इसे चार महीने आगे बढ़ा दिया गया था.

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हॉलमार्किंग के नियमों के मुताबिक, सोने के गहनों पर चार पहचान होंगी. पहला- बीआईएस मार्क(BIS Mark), दूसरा- कैरेट व फाइननेस (Gold Fineness), तीसरा- हॉलमार्किंग सेंटर (Hallmarking Centre) का नंबर और चौथा- ज्वैलर्स आइंडेंटिफिकेशन नंबर.

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बीआईएस मार्क या लोगो (BIS Lab) आपको बताएगा कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स से लाइसेंस प्राप्त लैब ने गहने की शुद्धता प्रमाणित हुई है या नहीं. साथ ही किस लैब से यह सर्टिफिकेशन हुआ है, इसकी भी जानकारी मिलेगी.

सोने की प्योरिटी कैरेट और फाइननेस से आंकी जाती है. 14, 18 और 22 कैरेट के साथ प्रति हजार के अनुपात में फाइननेस गहनों पर लिखी होगी. यानी 22 कैरेट के गहनों पर 22K और फाइननेस के लिए 916, यानी ऐसे गहनों में 91.6 प्रतिशत सोना और बाकी अन्य धातुएं होंगी. 14 कैरेट के गोल्ड में 58.5 फीसदी गोल्ड और बाकी अन्य धातुएं होंगी. 18 कैरेट के गोल्ड ज्वेलरी में 75 प्रतिशत सोना होगा.

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