ग्लोबल हंगर इंडेक्स वास्तव में भूख को नहीं मापता, ICMR ने दिए ये तर्क

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2022 में भारत को 0 से 100 के पैमाने पर 29.1 के स्कोर के साथ 121 देशों में से 107 वां स्थान दिया गया है. इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि यह लगभग पूरी तरह से उन बच्चों की संख्या में गलत तरीके से दर्ज की गई वृद्धि से प्रेरित है, जिनके शरीर का वजन उनकी ऊंचाई के लिए कम है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 121 देशों में से 107 वां स्थान दिया गया है.

भारत 121 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2022 में 101 से 107वें स्थान पर खिसक गया है. इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) वास्तव में भूख को नहीं मापता है.
ICMR की विशेषज्ञ समिति ने कहा कि अल्पपोषण, स्टंटिंग, वेस्टिंग और बाल मृत्यु दर के संकेतक भूख को नहीं मापते. क्योंकि ये अकेले भूख की अभिव्यक्ति नहीं हैं.

समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भूख को मापने वाले सूचकांक को विकसित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कई उपाय शायद प्रासंगिक थे. पैनल ने दावा किया कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स भूख के माप को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है. इसमें सांख्यिकीय शक्ति का अभाव है. कई मामलों में ऐसी समस्या है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों को यह उच्च प्रतिनिधित्व देता है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2022 में भारत को 0 से 100 के पैमाने पर 29.1 के स्कोर के साथ 121 देशों में से 107 वां स्थान दिया गया है. इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि यह लगभग पूरी तरह से उन बच्चों की संख्या में गलत तरीके से दर्ज की गई वृद्धि से प्रेरित है, जिनके शरीर का वजन उनकी ऊंचाई के लिए कम है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार भारत को अफगानिस्तान को छोड़कर सभी दक्षिण एशियाई देशों नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश से पीछे रखा गया है. दो गैर सरकारी संगठनों - कंसर्न वर्ल्डवाइड (आयरलैंड) और वेल्थुंगरहिल्फ़ (जर्मनी) के नवीनतम संस्करण को वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर व्यापक रूप से भूख को मापने और ट्रैक करने के लिए प्रकाशित किया गया था.

‘GHI रिपोर्ट 2022' कन्सर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फे ने ये इंडेक्स जारी किया. भारत सरकार ने इस संबंध में कहा है कि यह सूचकांक भुखमरी का एक गलत पैमाना है. इसमें ढेर सारी गंभीर पद्धतिपरक कमियां हैं. इस सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन संकेतक दरअसल बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं, अत: ये निश्चित रूप से पूरी आबादी के स्वास्थ्य को नहीं दर्शा सकते हैं. 

ये रिपोर्ट न केवल जमीनी हकीकत से अलग है, बल्कि इसमें कोविड के दौरान देश की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है, जबकि सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें-

IRCTC घोटाले मामले में तेजस्वी यादव को चेतावनी के साथ मिली राहत

Featured Video Of The Day
Jahangirpuri Stone Pelting: जहांगीरपुरी में Mandir में मौजूद लोगों पर पथराव के बाद जबरदस्त हंगामा
Topics mentioned in this article