इस बार 26 जनवरी पर आपको दिखेगा पिनाका- भारत की अत्याधुनिक रॉकेट प्रणाली. इससे पहले की हम कुछ और बताएं पहले जान लेते हैं कि पिनाका नाम का मतलब क्या है और ये आया कहां से है. पिनाका, दरअसल भगवान शिव के धनुष को कहते हैं. इस धनुष से राक्षस और पापी भय खाते थे. पिनाका एक ख़तरनाक हथियार है जो सामने वाले को संभलने का मौक़ा तक नहीं देता है. अब बात करते हैं कि ये कितना घातक है. पिनाका की गति 5757 किलोमीटर प्रति घंटे से ज़्यादा है. यानी एक सेकेंड मे ये 1.1 किलोमीटर की रफ़्तार से हमला कर सकता है.
DRDO ने इसे किया है तैयार
इसे DRDO ने तैयार किया है. और अब यह सेना के प्रमुख हथियारों में से एक है. पिनाका के तीन वेरिएंट हैं. पहला वेरिएंट है पिनाका एमके 1. इसकी रेंज 40 किलोमीटर है. ये एक वर्ग किलोमीटर का इलाक़ा तबाह कर सकता है. इसमें एक बैटरी हो जबकि 6 लांचर होते हैं. हर लॉन्चर में 12 ट्यूब हैं. यानी पूरी बैटरी में 72 ट्यूब. हर ट्यूब से एक रॉकेट दाग़ा जाता है.
किसी भी चीज को कर सकता है तबाह
वहीं दूसरे वेरिएंट की रेंज 90 किलोमीटर की है. ये तीस मीटर तक सटीक निशाना लगा सकता है. इसका इस्तेमाल किसी एक छोटे से केंद्र को तबाह करने के लिए किया जा सकता है. जबकि तीसरे वरिएंट की रेंज 120 किलोमीटर है. अब इसकी रेंज को बढ़ाकर 300 करने की कोशिश की जा रही है. फिलहाल ये सिस्टम किसी भी तरह के टारगेट आदमी, गाड़ी, टैंक ,बंकर या बिल्डिंग को तबाह कर सकता है.
एक साथ कई रॉकेट दागने की है क्षमता
वैसे भारत में रॉकेट का विकास 1780 के दशक में शुरु हुआ. टीपू सुल्तान ने लोहे की नालियों में निर्मित धातु सिलेंडर के जरिये रॉकेट बनाए. टीपू ने अंग्रेजों के खिलाफ इस हथियार का बखूबी इस्तेमाल किया. पिनाका रॉकेट सिस्टम 44 संकेड में 12 रॉकेट दागता है. यानी हर 4 संकेड में एक रॉकेट. 214 मिलीमीटर कैलिबर के इस लांचर में एक के बाद एक 12 पिनाका रॉकेट दागे जा सकते है. इसके लांचर की लंबाई 16 फीट 3 इंच से 23 फीट 7 इंच है. इसका व्यास 8.4 इंच है.
इसे मैनुअली और ऑटोमेटिक फायर किया जा सकता है
यह पूरी तरह स्वाचालित , आक्रामक हथियार प्रणाली है. छह लांचर की एक बैट्री 44 सेकेंड में 72 रॉकेटों के एक सॉल्वो से 1000 गुणा 800 मीटर के क्षेत्र को बरबाद करते हुए 7.2 टन बम गिराती है. प्रत्येक लांचर एक अलग दिशा में फायर कर सकता है. एक बैटरी में सभी छह लॉचरों को एक साथ जोड़ने वाला एक कमांड पोस्ट है. इसे मैनुअली और ऑटोमेटिक फायर किया जा सकता है. यह हथियार प्रणाली विभिन्न गोला बारुद के साथ लक्ष्य को भेदती है. यह 75 किलोमीटर की सीमा तक पिन पॉइंट सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सक्षम है. इसे किसी भी मौसम में चलाया जा सकता है. पिनाका रॉकेट लांचर सिस्टम ने करगिल युद्ध के दौरान घुसपैठियें और पाक सेना को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई.