किलिमंजारो से एवरेस्ट तक: एक सरकारी कर्मी का शीर्षतम चोटियों को फतह करने का जुनून

खान ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मेरा लक्ष्य भारत को गौरवान्वित करना, ऊंची चोटियों पर भारतीय ध्वज लहराना, एकता का संदेश फैलाना और लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक बनाना है.’’ केरल में पंडालम के निवासी खान राज्य सरकार के एक कर्मी हैं और उन्हें जब कभी विभिन्न संगठनों/संस्थाओं द्वारा बुलाया जाता है तो वह पर्वतारोहण पर भाषण देते हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: केरल के 36 वर्षीय शेख हसन कुछ साल पहले तक पासपोर्ट रखने या विदेशी सरजमीं की यात्रा करने के बारे में सोचते भी नहीं थे. लेकिन पिछले साल ही उन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह की और 2021 में उन्होंने किलिमंजारो की चढाई की. अब वह दुनियाभर की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने के मिशन पर हैं और इसी माह उत्तरी अमेरिकी के शीर्षतम शिखर डेनाली को फतह करने वाले हैं.

खान ने एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मेरा लक्ष्य भारत को गौरवान्वित करना, ऊंची चोटियों पर भारतीय ध्वज लहराना, एकता का संदेश फैलाना और लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक बनाना है.'' केरल में पंडालम के निवासी खान राज्य सरकार के एक कर्मी हैं और उन्हें जब कभी विभिन्न संगठनों/संस्थाओं द्वारा बुलाया जाता है तो वह पर्वतारोहण पर भाषण देते हैं.

खान 2017-18 में पर्वतारोहण के प्रति आकर्षित हुए और तब परिवार और उनके करीबियों को यकीन नहीं था कि वह सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने के अजीब सपने को पूरा करने के पीछे पड़ सकते हैं. खान ने बताया कि काफी मशक्कत के बाद वह अपने परिवार को राजी कर पाए. उसके बाद, उन्होंने अल्पकालिक पर्वतारोहण पाठ्यक्रम में दाखिला लिया और अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो की चढ़ाई का सपना साकार हुआ. उनके सपनों की राह में वित्तीय बाधाएं भी आने लगीं. लेकिन वे उन्हें माउंट एवरेस्ट को फतह करने से नहीं रोक सकीं.

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खान ने कहा कि कर्ज लेकर, दोस्तों से उधार लेकर, सोना बंधक रखकर उन्होंने माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए पैसे जुटाए. उन्होंने कहा कि पिछले साल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढाई के दौरान ‘‘मौत अपने करीब दिखाई दी क्योंकि मेरी ऑक्सीजन (सिलेंडर) खत्म हो गयी और मेरा शरीर जमने लगा था, करीब 20 मिनट तक संघर्ष के बाद मुझे नया ऑक्सीजन सिलेंडर मिल गया.''

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खान राष्ट्रीय राजधानी से डेनाली के लिए रवाना हुए हैं और उनकी चिंता इस पर्वतारोहण को लेकर नहीं बल्कि भावी पर्वतरोहण के वास्ते धन के इंतजाम को लेकर है. डेनाली से लौटन के बाद वह रूस और जापान की शीर्षतम चोटियों को फतह करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे फंड और स्पॉसरशिप की जरूरत है जो मुझे पर्वतारोहण और मेरे सपने को साकार करने में मदद करे. हवाई टिकट महंगे हैं और यह एक मुख्य मुद्दा है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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