फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 25 जनवरी को भारत आ रहे हैं. वे 2 दिन के आधिकारिक राजकीय दौरे पर भारत आ रहे हैं. इमैनुएल मैक्रों भारतीय गणतंत्र दिवस की परेड के मुख्य अतिथि हैं. ऐसे में राष्ट्रपति मैक्रों पेरिस का आज का दिन बेहद खास होने वाला है. मैक्रॉन की यात्रा भारत-फ्रांस रणनीतिक (Bilateral Talks With PM Modi) साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ के जश्न के मौके पर हो रही है. वे सीधे जयपुर एयरपोर्ट पर उतरेंगे. यहां वे सबसे पहले आमेर किला जाएंगे. इस दौरान मैक्रों भारतीय कारीगरों, भारत-फ्रांस कल्चरल प्रोजेक्ट्स के स्टेकहोल्डर्स के साथ-साथ छात्रों से बातचीत करेंगे.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि फ्रांसीसी सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी भारतीय सैनिकों और विमान चालकों के साथ गणतंत्र दिवस परेड और फ्लाईपास्ट में भाग लेगी.
इसके बाद PM नरेंद्र मोदी उन्हें रिसीव करेंगे. यहां से दोनों नेता साथ में जंतर-मंतर और जयपुर के हवा महल जैसे कुछ पर्यटक स्थलों पर जाएंगे. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, जयपुर में ही दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि मोदी-मैक्रों जयपुर में एक रोड शो भी करेंगे. फ्रांस के राष्ट्रपित मैक्रों, हवा महल में यूपीआई (UPI) ट्रांजैक्शन भी करेंगे.
मैक्रों रात में दिल्ली के लिए रवाना होंगे. यहां 26 जनवरी को फ्रांसीसी राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस परेड में बतौर चीफ गेस्ट शामिल होंगे. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में मैक्रों के सम्मान में एक रिसेप्शन और स्टेट डिनर होस्ट करेंगी. मैक्रों फ्रांस के छठे ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जो भारत में गणतंत्र दिवस परेड के चीफ गेस्ट बनेंगे.
राष्ट्रपति मैक्रों की यात्रा फ्रांस-भारत रणनीतिक साझेदारी के महत्वाकांक्षी नवीनीकरण को मजबूत करेगी, जिस पर दोनों नेताओं ने 14 जुलाई को पेरिस में "क्षितिज 2047 रोडमैप" के माध्यम से निर्णय लिया था.
अपनी रणनीतिक साझेदारी के शुभारंभ के पच्चीस साल बाद, फ्रांस और भारत ने अगले 25 वर्षों के लिए नए साझा लक्ष्यों की शुरुआत की है. फ्रांस और भारत के लिए यह पल बेहद ही खास है. राष्ट्रपति मैक्रों के अनुसार, भारत और फ्रांस तीन सिद्धांतों के लिए रोडमैप तैयार करेगा.
फ्रांस और भारत संप्रभुता, साझेदारी और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे को सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बयान में कहा गया, "दोनों देश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान देने में भी महत्वपूर्ण भागीदार हैं, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, जहां हम एक संयुक्त रणनीति लागू करते हैं."
लॉन्चरों, अंतरिक्ष अन्वेषण, चालक दल की उड़ानों, जलवायु निगरानी उपग्रहों और समुद्री निगरानी सहित अंतरिक्ष पर उनके बीच 60 वर्षों से अधिक का दीर्घकालिक, अनुकरणीय सहयोग है.