धोखाधड़ी की राशि तीन गुना, सरकारी बैंक सबसे ज्‍यादा प्रभावित... RBI की रिपोर्ट

आरबीआई ने एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में धोखाधड़ी वाली राशि बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये हो गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 12,230 करोड़ रुपये थी.

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बीते वित्त वर्ष में धोखाधड़ी की राशि तीन गुना हुई, सरकारी बैंक अधिक प्रभावित
नई दिल्‍ली:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऋण खातों और डिजिटल भुगतान से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों में कुल राशि पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर तीन गुना हो गई. केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसका मुख्य कारण उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार 122 मामलों का पुनर्वर्गीकरण था. आरबीआई ने एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में धोखाधड़ी वाली राशि बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये हो गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 12,230 करोड़ रुपये थी. हालांकि, धोखाधड़ी के मामलों की संख्या पिछले वित्त वर्ष में घटकर 23,953 रह गई, जो 2023-24 में 36,060 थी.

रिपोर्ट के अनुसार, "पिछले वित्त वर्ष में धोखाधड़ी में शामिल राशि में वृद्धि मुख्य रूप से पिछले वित्त वर्षों के दौरान दर्ज किए गए 18,674 करोड़ रुपये के 122 मामलों में धोखाधड़ी वर्गीकरण को हटाने और सर्वोच्च न्यायालय के 27 मार्च, 2023 के निर्णय के अनुपालन को सुनिश्चित करने और पुन: परीक्षण के बाद चालू वित्त वर्ष के दौरान नए सिरे से रिपोर्ट करने के कारण हुई."

इसमें कहा गया है कि संख्या के लिहाज से धोखाधड़ी मुख्य रूप से डिजिटल भुगतान की श्रेणी में हुई है, जिसमें कार्ड और इंटरनेट शामिल है, और मूल्य के लिहाज से मुख्य रूप से कर्ज खंड में हुई है. संख्या के हिसाब से, वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक धोखाधड़ी के लगभग 60 प्रतिशत मामलों में निजी क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की हिस्सेदारी है, जबकि मूल्य के हिसाब से इन बैंकों की हिस्सेदारी 71 प्रतिशत से अधिक है.

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आरबीआई ने रिपोर्ट में कहा, "हालांकि, निजी क्षेत्र के बैंकों में दर्ज धोखाधड़ी की संख्या में कार्ड/इंटरनेट धोखाधड़ी का सबसे अधिक हिस्सा था, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी मुख्य रूप से कर्ज खंड में थी." इसमें कहा गया है कि कर्ज से संबंधित धोखाधड़ी संख्या के हिसाब से 33 प्रतिशत से अधिक मामलों और मूल्य के हिसाब से 92 प्रतिशत से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है.

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पिछले वित्त वर्ष के अंत तक कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी श्रेणी के तहत संख्या के हिसाब से 13,516 धोखाधड़ी के मामले थे, जो कुल 23,953 धोखाधड़ी का 56.5 प्रतिशत है.

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