एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को सेक्स स्कैंडल की फाइलें सौंपने को कहा गया, 3 दिन की मोहलत

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने हाल में यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि उनके पास अभी भी सेक्स स्कैंडल से जुड़ी पेन ड्राइव है. इसे राज्य में बीजेपी सरकार के अप्रत्यक्ष तौर पर चेतावनी माना गया था.

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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) को बुधवार तक सीडी, पेन ड्राइव आदि सौंपने का निर्देश
भोपाल:

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ( Former Madhya Pradesh Chief Minister Kamal Nath) को 2019 के सेक्स स्कैंडल से जुड़ी फाइलें सौंपने का निर्देश दिया गया है. इस हनी ट्रैप स्कैंडल की जांच कर रही एसआईटी ने कमलनाथ को इसके लिए नोटिस भेजा है. उनसे कहा गया है कि 2019 में हाई प्रोफाइल व्यक्तियों से जुड़े सेक्स स्कैंडल और वसूली रैकेट की फ्लैश ड्राइव या सीडी वे जांचकर्ताओं को सौंप दें. माना जा रहा है कि इस स्कैंडल में कई पूर्व मंत्री और नौकरशाह फंसे थे.

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74 साल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ने हाल में यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि उनके पास अभी भी सेक्स स्कैंडल से जुड़ी पेन ड्राइव है. इसे राज्य में बीजेपी सरकार के अप्रत्यक्ष तौर पर चेतावनी माना गया था. बीजेपी नेताओं द्वारा 40 साल की एक महिला द्वारा खुदकुशी करने के मामले में कांग्रेस के एक विधायक के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग के बाद कमलनाथ का यह बयान आया था. कमलनाथ ने एक डिजिटल प्रेस कान्फ्रेंस में यह बयान देकर सेक्स स्कैंडल को दोबारा सुर्खियों में ला दिया था.

इस पर BJP ने सवाल उठाया था कि अगर कमलनाथ के पास मुख्यमंत्री रहने के दौरान इसके सबूत थे तो उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. अब SIT ने कांग्रेस नेता को केस से जुड़ी यूएसबी ड्राइव या सीडी (USB drive or CD ) बुधवार तक सौंपने को कहा है. इस सेक्स स्कैंडल में कथित तौर पर 1000 से ज्यादा सेक्स चैट की क्लिप, अश्लील वीडियो और ऑडियो सामने आए थे. वर्ष 2019 में कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहने के दौरान यह वाकया सामने आया था. इसमें 5 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था.

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इस मामले में मुख्य आरोपियों में से एक श्वेता जैन एक एनजीओ चलाती थी. उसने पुलिस को बताया था कि करीब दो दर्जन कॉलेज छात्राओं और सेक्स वर्करों का इस्तेमाल शीर्ष अधिकारियों और राजनेताओं को जाल में फंसाने के लिए किया गया था. उसने कथित तौर पर जांचकर्ताओं को बताया था कि इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य सरकारी अधिकारियों से अच्छे कांट्रैक्ट हासिल करना था. साथ ही वीआईपी नेताओं से मोटी रकम वसूलने की योजना भी थी. 

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