पूर्व जजों, राजदूतों और नौकरशाहों ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर राष्ट्रपति को लिखा पत्र

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. कुछ लोग और संस्‍थाएं इसके विरोध में हैं, तो कुछ लोग इसके समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
पत्र में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह को मान्‍यता से परिवार और समाज नाम की संस्थाएं नष्ट हो जाएंगी
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्याता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. इस बीच 121 पूर्व जजों, छह पूर्व राजदूतों समेत 101 पूर्व नौकरशाहों ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि सेम सेक्स के लोगों की शादी को क़ानूनी वैधता प्रदान करने की कोशिशों से उन्हें धक्का पहुंचा है. अगर इसकी अनुमति दी गई, तो पूरे देश को इसकी क़ीमत चुकानी होगी. हमें लोगों के भले की चिंता है. 

"परिवार और समाज नाम की संस्थाएं नष्ट हो जाएंगी"
पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को यह बताया जाना चाहिए कि नई लकीर खींचने की सांस्कृतिक नुक़सान पहुंचाने वाली इस पहुंच का क्या असर होगा? हमारा समाज सेम सेक्स यौन संस्कृति को स्वीकार नहीं करता. विवाह की अनुमति देने पर यह आम हो जाएगी. हमारे बच्चों का स्वास्थ्य और सेहत ख़तरे में पड़ जाएगा. इससे परिवार और समाज नाम की संस्थाएं नष्ट हो जाएंगी. इस बारे में कोई भी फ़ैसला करने का अधिकार केवल संसद को ही है, जहां लोगों के प्रतिनिधि होते है. अनुच्छेद 246 में विवाह एक सामाजिक क़ानूनी संस्थान है, जो केवल सक्षम विधायिका द्वारा ही रचित, स्वीकृत और क़ानूनी मान्यता प्रदान हो सकता है. 

समलैंगिक विवाह के मुद्दे को संसद पर छोड़ने की अपील
इससे पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि अदालत न तो कानूनी प्रावधानों को नये सिरे से लिख सकती है, न ही किसी कानून के मूल ढांचे को बदल सकती है, जैसा कि इसके निर्माण के समय कल्पना की गई थी. केंद्र ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह समलैंगिक विवाहों को कानूनी मंजूरी देने संबंधी याचिकाओं में उठाये गये प्रश्नों को संसद के लिए छोड़ने पर विचार करे.

Advertisement

समलैंगिक शादियों के समर्थन में उतरा ये समूह 
लॉ स्कूल के छात्रों के 30 से अधिक एलजीबीटीक्यूआईए++ समूहों ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के उस प्रस्ताव की निंदा की है, जिसमें उच्चतम न्यायालय से समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई न करने की अपील की गई है. इन समूहों ने बीसीआई के इस प्रस्ताव को ‘संविधान विरोधी' करार दिया है.

Advertisement

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्याता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर हो रही सुनवाई के बीच केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विवाह संस्था जैसा महत्वपूर्ण मामला देश के लोगों द्वारा तय किया जाना है और अदालतें ऐसे मुद्दों को निपटाने का मंच नहीं हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें :-
हिंदू कॉलेज से हाल में हटाये गये एड-हॉक शिक्षक अपने कमरे में मृत मिले
Karnataka Elections: बेलगावी की 18 सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर, जानें सियासी समीकरण

Advertisement
Featured Video Of The Day
Jhansi Medical College Fire: 10 घंटे बाद भी भटक रहे परिजन, बच्चों की मौत से छाया मातम
Topics mentioned in this article