जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने राज्य में परिसीमन (Delimitation) कराए जाने पर केंद्र सरकार और बीजेपी (BJP) की आलोचना की है और जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को "विभाजनकारी एजेंडा" करार दिया है. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार (07 दिसंबर) को लोकसभा को सूचित किया कि उनकी योजना जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की कवायद जल्द से जल्द पूरी करने की है.
उन्होंने नई दिल्ली में भारतीय महिला प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, "जब 2026 तक देश के बाकी हिस्सों में परिसीमन नहीं हो सकता है, तो वे जम्मू-कश्मीर में ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह उनके विभाजनकारी एजेंडे का हिस्सा है. वे कुछ क्षेत्रों में सीटें बढ़ाना चाहते हैं और सीटों को इस तरह व्यवस्थित करना चाहते हैं कि बहुसंख्यक समुदाय में वोटों का मुस्लिम, कश्मीरी, गुर्जर में विभाजन हो... वे समाज को और बांटना चाहते हैं."
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उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में शामिल होने से भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला. "वे सिर्फ उन लोगों की बात नहीं सुन रहे हैं जो इस प्रक्रिया में शामिल हो चुके हैं." जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी - पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, जो जून 2018 तक भाजपा की सहयोगी थी - चुनाव लड़ेगी, तो उन्होंने कहा कि जब तक अनुच्छेद 370 बहाल नहीं होता वो चुनाव नहीं लड़ेंगी लेकिन उनकी पार्टी चुनावों में भाग लेगी. उन्होंने कहा, "हम उन्हें (भाजपा को) कोई स्थान नहीं देंगे."
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने "जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन" के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक परिसीमन आयोग का गठन किया है.