दक्षिण दिल्ली में हिंदू पर्व नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को जबरन बंद कराना पूरी तरह से गैरकानूनी है. तृणमूल कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर को लिखे लेटर में यह बात कही है. लेटर ने उन्होंने कहा कि तुरंत सर्कुलर जारी होना चाहिए कि मीट की दुकानों पर लगा प्रतिबंध गैरकानूनी है. गौरतलब है कि यह विवाद तब शुरू हुआ था जब दक्षिण दिल्ली के महापौर मुकेश सूर्यान ने ऐलान किया था कि उनके नगरीय निकाय के अंतर्गत आने वाले मीट की दुकानें नवरात्रि पर्व के दौरान बंद रहनी चाहिए. कई लोगों ने इस कदम को अनुचित और यहां तक की सांप्रदायिक करार दिया था. टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले ने इस मामले में ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, 'दक्षिण दिल्ली मीट प्रतिबंध के संबंध में: दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर को लेटर लिखा है. मीट की दुकानों पर प्रतिबंध अवैध होने की घोषणा करते हुए तत्काल एक सर्कुलर जारी करने की मांग की है.'
न्यूज रिपोर्टर्स का हवाला देते हुए इसमें कहा गया है कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में मीट दुकानें बंद करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. गोखले ने कहा कि महापौर के पास मीट दुकानें बंद करने का आदेश देने की कार्यकारी शक्ति नहीं है. उन्होंने लेटर में कहा, 'मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आप कश्मिनर के रूप में दक्षिण दिल्ली नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी है. किसी भी दुकान (मांस या अन्य कोई) को बंद करने का आदेश केवल स्वास्थ्य/सुरक्षा/ अन्य वैध कारणों से ही दिया जा सकता है. '
दक्षिण दिल्ली के मेयर ने कहा था कि यह फैसला दिल्ली के लोगों की भावना को ध्यान में रखते हुए लिखा गया. सूर्यान ने अपने लेटर में लिखा था, 'नवरात्रि के दौरान लोग मां दुर्गा की आराधना करने और अपने और परिवार के लिए आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाते हैं. इन 9 दिनों के दौरान श्रद्धालु मासांहारी भोजन, शराब और कुछ अन्य चीजों के सेवन से दूर रहते हैं. इन दिनों में लोग प्याज और लहसुन तक खाना छोड़ देते हैं. नवरात्रि के दौरान मंदिरों के आसपास मीट बेचे जाने से वे खुद को असहज महसूस करते हैं. '
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