सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज (मंगलवार) एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक जज के लिए जूनियर अधिकारी को अपमानजनक और अनुचित मैसेज भेजना और उनके साथ फ्लर्ट करना स्वीकार्य आचरण नहीं है. यह टिप्पणी मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के एक पूर्व न्यायिक अधिकारी की याचिका की सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें यौन उत्पीड़न मामले में उच्च न्यायालय द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई के खिलाफ अपील की गई थी.
वरिष्ठ वकील रवींद्र श्रीवास्तव ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (SA Bobde) की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष शिकायतकर्ता महिला अधिकारी को याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए व्हाट्सएप मैसेजेस को पढ़ा. मैसेज सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा, 'व्हाट्सएप संदेश काफी अपमानजनक और अनुचित हैं. एक न्यायाधीश के लिए जूनियर अफसर के साथ यह आचरण स्वीकार्य नहीं है. अगर उन्हें एक-दूसरे के साथ कुछ समझ है तो क्या आगे बढ़ना अच्छा है.'
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चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की. इस पीठ में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम थे. हाईकोर्ट के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह (महिला अधिकारी) समझौता चाहती थीं लेकिन मामले की जांच कर रही उच्च न्यायालय की समिति ने इसे स्वीकार नहीं किया.
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सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी के लिए बहस करने वाले वरिष्ठ वकील कर्नल आर बालासुब्रमण्यम ने शीर्ष अदालत को बताया कि महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत वापस ले ली लेकिन उच्च न्यायालय ने अपने मुवक्किल के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह शिकायत तब की गई, जब उनका नाम हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नति के लिए लिया जाने वाला था. केस की सुनवाई एक हफ्ते के लिए टाल दी गई है.
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